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Tag Archives: राजीव लोचन

छत्तीसगढ़ के प्राचीन मंदिरों की द्वारशाखा के सिरदल में विशिष्ट शिल्पांकनों का अध्ययन

भारतवर्ष के लगभग मध्य में स्थित छत्तीसगढ़ राज्य के अन्तर्गत रायगढ़ जिला प्रागैतिहासिक काल के भित्ति चित्रों के लिये प्रसिद्ध है जिसके प्रमाण सिंघनपुर तथा कबरा पहाड़ में मिलते हैं। पाषाण युग के बाद ताम्रयुग तथा वैदिक काल में छत्तीसगढ़ की स्थिति के बारे में कोई सूचना नहीं मिलती । …

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राजिम मेला : ऐतिहासिक महत्व एवं संदर्भ

ग्रामीण भारत के सामाजिक जीवन में मेला-मड़ई, संत-समागम का विशेष स्थान रहा है। स्वतंत्रता के पूर्व जब कृषि और ग्रामीण विकास नहीं हुआ था तब किसान वर्षा ऋतु में कृषि कार्य प्रारम्भ कर बसंत ऋतु के पूर्व समाप्त कर लेते थे। इस दोनों ऋतुओं के बीच के 4 माह में …

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दक्षिण कोसल की स्थापत्य कला में लक्ष्मी का प्रतिमांकन

प्राचीन काल में भारत में शक्ति उपासना सर्वत्र व्याप्त थी, जिसके प्रमाण हमें अनेक अभिलेखों, मुहरों, मुद्राओं, मंदिर स्थापत्य एवं मूर्तियों में दिखाई देते हैं। शैव धर्म में पार्वती या दुर्गा तथा वैष्णव धर्म में लक्ष्मी के रूप में देवी उपासना का पर्याप्त प्रचार-प्रसार हुआ। लक्ष्मी जी को समृद्धि सौभाग्य …

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भगवान राजीव लोचन एवं भक्तिन राजिम माता : विशेष आलेख

राजिम दक्षिण कोसल का सबसे बड़ा सनातन तीर्थस्थल के रूप में चिन्हित रहा है क्योंकि यह नगर तीन नदियों उत्पलेश्वर (चित्रोत्पला) (सिहावा से राजिम तक महानदी) प्रेतोद्धारिणी (पैरी) एवं सुन्दराभूति (सोंधुर) के तट पर बसा है। प्रेतोद्धारिणी की महत्ता महाभारत काल से पितृकर्म के लिए प्रतिष्ठित, चिन्हित रही है जिसका …

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भक्त शिरोमणी माता राजिम जयंती पर विशेष

छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम एक पवित्र सांस्कृतिक एवं एतिहासिक नगरी है जो अपने आप में गौरवशाली पुरातन इतिहास व परम्पराओं को आत्मसात किये हुये है । इसे भगवान विष्णु की नगरी भी कहा जाता है । विशेषकर माघ पूर्णिमा से शिवरात्रि तक सांस्कृतिक एकता के पवित्र बंधन में बंधे हुए …

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