Home / Tag Archives: पुस्तक चर्चा

Tag Archives: पुस्तक चर्चा

अमृत काल में स्वामी विवेकानंद की प्रासंगिकता – पुस्तक चर्चा

अपने शीर्षक “अमृत काल में स्वामी विवेकानंद की प्रासंगिकता” के अनुसार यह पुस्तक स्वामी विवेकानंद के कार्य और विचारों पर आधारित है, जो आधुनिक भारत के लिए अमृत कल में मार्गदर्शन का कार्य करेगी। इस पुस्तक के माध्यम से जहाँ एक ओर अपने पाठकों को “स्वामी विवेकानंद के जागृत भारत …

Read More »

द स्वरस्वती इपोक : पुस्तक चर्चा

भारतीय सभ्यता निर्माण में जिन कुछ प्रत्ययों का स्थाई महत्व रहा है, उन पर विमर्श की परम्परा विदेशी अनुसंधानकर्ताओं के लेखन में भी दिखाई देती है। इतिहास, संस्कृति, परम्परा और सभ्यता के प्रश्नों को लेकर अब तक जो वैचारिक व दार्शनिक चिंतन होता रहा है उससे कुछ सार्थक स्थापनाएं मुहैया …

Read More »

राम वनगमन पथ की रामलीलाओं पर छत्तीसगढ़ का पहला संदर्भ ग्रंथ प्रकाशित

दक्षिण कोसल यानी प्राचीन छत्तीसगढ़ को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का ननिहाल माना जाता है। लोक प्रचलित मान्यता है कि इस अंचल में उनकी माता कौशल्या का मायका रहा है।इस नाते भगवान श्रीराम छत्तीसगढ़ वासियों के भांजे हुए। उनके साथ मामा -भांजा का यह रिश्ता सैकड़ों-हजारों वर्षों से यहाँ के …

Read More »

छत्तीसगढ़ी साहित्य अउ साहित्यकार

एक हजार साल से भी पुराना है छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य का इतिहास भारत के प्रत्येक राज्य और वहाँ के प्रत्येक अंचल की अपनी भाषाएँ, अपनी बोलियाँ, अपना साहित्य, अपना संगीत और अपनी संस्कृति होती है। ये रंग -बिरंगी विविधताएँ ही भारत की राष्ट्रीय पहचान है, जो इस देश को …

Read More »

माता कौशल्या के जीवन पर पहला उपन्यास : कोशल नंदिनी

प्राचीन महाकाव्यों के प्रसिद्ध पात्रों पर उपन्यास लेखन किसी भी साहित्यकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण और जोख़िम भरा कार्य होता है। चुनौतीपूर्ण इसलिए कि लेखक को उन पात्रों से जुड़े पौराणिक प्रसंगों और तथ्यों का बहुत गहराई से अध्ययन करना पड़ता है। इतना ही नहीं, बल्कि उसे उन पात्रों की …

Read More »

डोंगी में दिल्ली से कलकत्ता तक यात्रा की कहानी, डॉ राकेश तिवारी की जुबानी

घुमक्कड़ मनुष्य की शारीरिक मानसिक एवं अध्यात्मिक क्षमता की कोई सीमा नहीं। ये तीनों अदम्य इच्छा से किसी भी स्तर तक जा सकती हैं और चांद को पड़ाव बना कर मंगल तक सफ़र कर आती हैं। घुमक्कड़ी करना भी कोई आसान काम नहीं है, यह दुस्साहस है जो बहुत ही कम …

Read More »