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Tag Archives: डॉ. माणिक विश्वकर्मा

सकल सृष्टि के कर्ता – भगवान विश्वकर्मा

वैदिक साहित्य ने सृष्टि का कर्ता भगवान विश्वकर्मा को माना है, इनके के अनेक रूप बताए जाते हैं- दो बाहु वाले, चार बाहु एवं दस बाहु वाले तथा एक मुख, चार मुख एवं पंचमुख वाले। देवों के देव भगवान श्री विश्वकर्मा ने सदैव कर्म को ही सर्वोपरि बतलाया है। यह …

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75 वर्ष स्वतंत्रता के : क्या खोया, क्या पाया

आजादी का अमृत महोत्सव विशेष आलेख भारत अपनी संस्कृति एवं सभ्यता के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। हमारे धर्मशास्त्र एवं पुराणों में जीवन जीने की कला के साथ साथ धर्म, आध्यात्म ,राजनीति, अर्थ व्यवस्था एवं विज्ञान की चमत्कृत कर देने वाली घटनाएँ एवं गाथाएँ मौजूद हैं। किसी भी …

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छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के स्मृतिशेष नवगीतकार : विशेष आलेख

नवगीत गीत-परंपरा के विकास का वर्तमान स्वरूप है जिसमें समकालीन परिप्रेक्ष्य का समग्र मूल्यांकन दिखाई देता है । दरअसल नवगीत गीत ही है , वह गीत के अन्तर्गत नवाचार है, कोई अलग विधा नहीं है। अक्सर प्रश्न उठता कि जब गीत की जानकारी के बिना नवगीत नहीं लिखा जा सकता …

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अटूट श्रद्धा एवं भक्ति का केन्द्र : माँ मड़वारानी

माँ मड़वारानी का प्रसिद्ध मंदिर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से लगभग 29 कि.मी.की दूरी पर खरहरी गाँव मे पहाड़ी के ऊपर गहरी खाई के समीप कलमी पेड़ के नीचे स्थित है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर के निकट एक दूसरे कलमी पेड़ में मीठे पानी का स्रोत था जो …

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गीत – गौ माता की छवि निराली

गौ माता की छवि निराली, महिमा अपरंपारमाँ कहलाती है, देती है माँ के जैसा प्यार गाय प्रतिष्ठा है भारत की, क़ीमत है अनमोलमन आल्हादित हो जाता है, सुनकर इसके बोलकर देती है भवसागर से, सबका बेड़ा पार रुकने न पाए विकास कभी, घटे नहीं सम्मानविश्वगुरु बनने के लिए नित, रखना …

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छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के नवगीतकार

एक नवंबर 2020 को पृथक राज्य बनने से पूर्व छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का अविभाज्य अंग था। प्राकृतिक सौंदर्य एवं अपार खनिज संपदा तथा समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक भंडार होने के बावजूद पहले उसकी कोई अलग पहचान से नहीं थी। दुष्यंत कुमार का यह शेर छ.ग. पर सटीक बैठता था और कई …

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हिन्दी ग़ज़ल का संक्षिप्त इतिहास एवं नवछंद विधान “हिंदकी”

हिन्दी ग़ज़लों का इतिहास बहुत पुराना है। जिस तरह आज की उर्दू ग़ज़लों का विकास एक बहर वाली कविता, जिसे अरबी में बैत एवं फ़ारसी में शेर कहते हैं के साथ शुरू हुआ था, ठीक उसी तरह हिन्दी ग़ज़लों का विकास भी दोहेनुमा कविता से शुरू हुआ था। हिन्दी ग़ज़ल …

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