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Tag Archives: डॉ अलका यतीन्द्र यादव

लोक वाद्य नगाड़ा और होली

छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति में वाद्य यंत्रों का विशेष महत्व है. इन्ही में से नगाड़ा एक ऐसा वाद्ययंत्र जो आज भी छत्तीसगढ़ के विभिन्न आयोजनों में दिखाई देता है. भले ही इसका चलन कम हुआ है, लेकिन आज भी इसकी जगह अन्य वाद्ययंत्र नहीं ले पाया है. जब इसकी आवाज …

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छत्तीसगढ़ का प्रमुख कृषि पर्व : पोला

खेती किसानी में पशुधन के महत्व को दर्शाने वाला पोला पर्व छत्तीसगढ़ के सभी अंचलों में परंपरागत रूप से उत्साह के साथ मनाया जाता है खेती किसानी में पशु धन का उपयोग के प्रमाण प्राचीन समय से मिलते हैं पोला मुख्य रूप से खेती किसानी से जुड़ा त्यौहार है भादो …

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खुशहाली एवं समृद्धि का प्रतीक हरेली एवं हरेला त्यौहार

भारत कृषि प्रधान देश होने के साथ – साथ उत्सव प्रधान भी है। यहाँ अधिकतर त्यौहार कृषि कार्य पर आधारित हैं, प्रत्येक त्यौहार किसी न किसी तरह कृषि कार्य से जुड़ा हुआ है। छत्तीसगढ़ में जब धान की बुआई सम्पन्न हो जाती है तब सावन माह की अमावश को कृषि …

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भारत की विश्व मानवता को देन योग विद्या

21 जून विश्व योग दिवस विशेष आलेख योग, आध्यात्मिक भारत को जानने और समझने का एक माध्यम है। इसके साथ ही योग भारत की संस्कृति और विरासत से भी घनिष्ठता रखता है। संस्कृत में योग का अर्थ है “एकजुट होना।” योग स्वस्थ जीवन वन्य जीवन का वर्णन करता है। योग …

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देवार समुदाय की कलाओं का आंगन छत्तीसगढ़

यदि मनुष्य जो संवेदनाओं का पुंज है, मशीन की भांति ही कार्य करता रहे तो उसका जीवन सार्थक हो जाए। अतः समाज ने नाना कलाओं में पारंगत होकर समय-समय पर अन्य समाजों का मनोरंजन करने का काम करने लगे। ऐसी ही कलाओं में से कुछ कलाओं के नाम हैं – …

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मान दान का पर्व : छेरछेरा तिहार

छेरछेरा त्यौहार छत्तीसगढ़ का लोक पर्व है । अंग्रेज़ी के जनवरी माह में व हिन्दी के पुष पुन्नी त्यौहार छेरछेरा को मनाया जाता है। त्यौहार के पहले घर की साफ़-सफ़ाई की जाती है। छत्तीसगढ़ में धान कटाई, मिसाई के बाद यह त्यौहार को मनाया जाता है। यह त्यौहार छत्तीसगढ़ का …

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छत्तीसगढ़ की घुमन्तू जनजाति : नट

अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति है और उस अनेकता के मूल में निश्चित रुप से भारत के विभिन्न प्रदेशों में स्थित जनजातीय है। भारत में घुमंतू जनजातियों के लोग हर क्षेत्र में निवास करते हैं इनकी जीवन पद्धति अन्य लोगों से भिन्न है। घुमंतू जनजातियों की वेशभूषा, खान पान, …

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गौधन अलंकरण एवं शृंगार : सुहई

भारतीय समाज में गोधन अलंकर एवं पूजा की परंपरा है। तदनुरूप राउत जाति के लोग भी गौ पूजा अलंकरण में विश्वास करते है। वृद्ध और युवा पीढ़ी के मध्य विचारों में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन न आने के कारण दोनों पीढ़ियों के द्वारा समान रूप से परंपरागत ढंग से …

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