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Tag Archives: झारखंड

वीर बुधु भगत का बलिदान : अंग्रेजों द्वारा क्रूर सामुहिक नरसंहार

भारतीय स्वाधीनता के संघर्ष में कितने बलिदान हुये इसका विस्तृत वर्णन कहीं एक स्थान पर नहीं मिलता। जिस क्षेत्र के इतिहास पर नजर डालों वहाँ संघर्ष और बलिदान की रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानियाँ मिलती हैं। ऐसी ही कहानी क्राँतिकारी बुधु भगत की है जिन्होंने जीवन की अंतिम श्वाँस …

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अंग्रेजों के विरुद्ध वनवासी संघर्ष के नायक : तिलका मांझी

11 फरवरी 1750 क्रांतिकारी तिलका मांझी जन्म दिवस विशेष भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के इतिहास में वीरता और बलिदान की अद्भुत घटनायें दर्ज हैं। ऐसे ही एक बड़े संघर्ष का विवरण संथाल परगने में मिलता है। जिसके नायक वनवासी तिलका मांझी थे। जिन्हें अंग्रेजों ने चार घोड़ो से बाँध कर जमीन …

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अपनी धरती अपना राज का नारा देने वाले महान क्रांतिकारी भगवान बिरसा मुंडा

भारत के महान क्रांतिकारी हिंदू संस्कृति धर्म रक्षक बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को खूंटी जिले के अडकी प्रखंड के उलिहातु गाँव में हुआ था। उस समय ईसाई स्कूल में प्रवेश लेने के लिए इसाई धर्म अपनाना जरुरी हुआ करता था। तो बिरसा का धर्म परिवर्तन कर उनका …

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राष्ट्ररक्षा का भाव ही वनवासी समाज का मूल स्वभाव

“यदि मेरे पास शक्ति है तथा मैं इसका प्रयोग कर सकता हूँ तो मुझे धर्म-परिवर्तन को रोकना चाहिए। हिंदू परिवारों में मिशनरी के आगमन का अर्थ वेशभूषा, तौर-तरीके, भाषा, खान-पान में परिवर्तन के कारण परिवार का विघटन है।” -गांधीजी ‘हरिजन’, 5 नवम्बर 1935 स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव अर्थात 75 वीं …

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धर्म-संस्कृति रक्षक भगवान बिरसा मुंडा

जनजातीय अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर को को झारखंड के जनजाति दम्पति सुगना और करमी के घर हुआ था। मुंडा समाज को जल, जमीन, जंगल का हक दिलाने के लिए संघर्ष करते-करते मात्र 25 वर्ष की आयु में लोगों ने उनको भगवान …

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कृषि और ऋषि संस्कृति का लोक-पर्व : नुआखाई

खेतों में नयी फसल के आगमन पर उत्साह और उत्सवों के साथ देवी अन्नपूर्णा के स्वागत की हमारे देश में एक लम्बी परम्परा है।  अलग-अलग मौसमों में अलग-अलग फसलों के पकने की खुशी में देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग ढंग से और अलग-अलग नामों से त्यौहार मनाए जाते हैं। …

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मैं धरती-आबा हूं! भगवान बिरसा मुंडा

झारखंड के छोटा नागपुर स्थित उलीहातु गाँव में 15 नवम्‍बर, 1875 को जन्में बिरसा मुंडा को जनजातीय समाज सहित संपूर्ण देश ने अपना भगवान माना है। बचपन से कुशाग्र बुद्धि के धनी बिरसा ने ईसाई षड्यंत्रों, सामाजिक कुरीतियों आदि को अपने तर्कों से पटखनी दी और जमकर प्रतिकार किया। वहीं, …

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