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Tag Archives: इतिहास

छत्तीसगढ़ों में से एक गढ़ : बिन्द्रानवागढ़

राजाओं के शासन काल में दक्षिण कोसल में बहुत सारी जमीदारियाँ थी। बस्तर से सरगुजा तक अगर दृष्टिपात करें तो लगभग एक सैकड़ा जमीदारियाँ होंगी, जहाँ विभिन्न जाति एवं वर्ग के जमींदार शासन करते थे। वर्तमान में यह सब इतिहास की बातें हो गई परन्तु इनकी कहानियों में रहस्य, रोमांच …

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भारत के इतिहास से छेड़छाड़ : सत्य शोधन की आवश्यकता

काव्य मीमांसा में राजशेखर ने एक मत देते हुए कहा है कि- “इतिहास पुराणाभ्यां चक्षुर्भ्यामिव सत्कविः. विवेकांजनशुद्धाभ्यां सूक्ष्मप्यर्थमीक्षते !”अर्थात इतिहास लेखन में जितनी दक्षता और सतर्कता अपेक्षित होती है संभवतया उतनी अन्य विधाओं में प्रायः नही होती।” मेरे विचार में यह इतिहास के बारे में शत प्रतिशत सही वक्तव्य है …

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जानी अनजानी कथा केशकाल की

छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर अंचल को भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाला रास्ता केशकाल की घाटी से गुजरता है एक तरह से यह घाटी वहाँ की जीवन-रेखा है। यह घाटी अपनी घुमावदार सड़क और प्राकृतिक सुंदरता के लिये जानी जाती है। प्रस्तुत है उसी घाटी की सड़क की छोटी …

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विश्व में सूर्योपासना की प्राचीन परम्परा

मानव ने धरती पर जन्म लेकर सबसे पहले नभ में चमकते हुए गोले सूर्य को देखा। धीरे-धीरे उसने सूर्य के महत्व समझा और उसका उपासक हो गया। सूर्य ही ब्रह्माण्ड की धूरी है। जिसने अपने आकर्षण में सभी ग्रहों एवं उपग्रहों को बांध रखा है। इसका व्यवहार किसी परिवार के …

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छत्तीसगढ़ में सूर्योपासना परम्परा : कलात्मक अभिव्यक्ति

मानव धर्म के माध्यम से अपनी मानसिक अभिव्यक्ति करता है। इसके अंतर्गत मानव ऐसी उच्चतर अदृश्य शक्ति के प्रति अपना विश्वास प्रकट करता है, जो उसके समस्त मानवीय जीवन को प्रभावित करती है। इसमें आज्ञाकारिता, शील, सम्मान तथा अराधना की भावना अंर्तनिहित होती है। अपने प्रारम्भिक अवस्था में मानव ने …

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बस्तर की प्राचीन राजधानी बड़ेडोंगर

बस्तर का प्रवेश द्वार केशकाल आपको तब मिलेगा जब आप बारा भाँवर (बारह मोड़ों) पर चक्कर काटते हुए पहाड़ पर चढेंगे। केशकाल क्षेत्र में अनेक प्राकृतिक झरने, आदि-मानव द्वारा निर्मित शैलचि़त्र, पत्थर से बने छैनी आदि प्रस्तर युगीन पुरावशेष यत्र-तत्र बिखरे पड़े हैं। साल वृक्षों का घना जंगल, ऊँची- ऊँची …

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ऐसा जिनालय जहाँ स्थापित हैं तीन तीर्थंकरों की प्रतिमाएं

छत्तीसगढ अंचल में जैन धर्मावलंबियों का निवास प्राचीन काल से ही रहा है। अनेक स्थानों पर जैन मंदिर एवं उत्खनन में तीर्थंकरों की प्रतिमाएं प्राप्त होती हैं। सरगुजा के रामगढ़ की गुफ़ा जोगीमाड़ा के भित्ति चित्रों से लेकर बस्तर तक इनकी उपस्थिति दर्ज होती है। चित्र में दिखाया गया मंदिर रायपुर …

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