शिकार द्वारा मनोरंजन वैदिक काल से समाज में विद्यमान रहा है एवं प्राचीन काल के मनोरंजन के साधनों का अंकन मंदिरों की भित्तियों में दिखाई देता है। मंदिरों की भित्तियों में अंकित मूर्तियों से ज्ञात होता है कि प्राचीन काल के समाज में किस तरह के मनोरंजन के साधन प्रचलित …
Read More »बस्तर की प्राचीन सामाजिक परम्परा : पारद
बस्तर की हल्बी बोली का शब्द है “पारद”। इसका शाब्दिक अर्थ होता है। गोण्डी बोली में इसे “वेट्टा” कहते है। को हिन्दी, हल्बी, गोण्डी में खेल कहकर प्रयुक्त किया जाता है। इसे हिन्दी में खेलना, हल्बी में पारद खेलतो तथा गोण्डी में “कोटुम वली दायना” कहते है। जिसका अर्थ पारद …
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