पक्षी प्रेम और पक्षी निहारने की बहुत ही सशक्त परम्परा भारतीय समाज में प्राचीन काल से रही है। विविध पक्षियों को देवताओं के वाहन के रूप में विशेष सम्मान दिया गया है। भारतीय संस्कृति में पक्षियों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। विष्णु का वाहन गरूड, ब्रह्मा और सरस्वती का …
Read More »द स्वरस्वती इपोक : पुस्तक चर्चा
भारतीय सभ्यता निर्माण में जिन कुछ प्रत्ययों का स्थाई महत्व रहा है, उन पर विमर्श की परम्परा विदेशी अनुसंधानकर्ताओं के लेखन में भी दिखाई देती है। इतिहास, संस्कृति, परम्परा और सभ्यता के प्रश्नों को लेकर अब तक जो वैचारिक व दार्शनिक चिंतन होता रहा है उससे कुछ सार्थक स्थापनाएं मुहैया …
Read More »भारतीय प्राचीन साहित्य में पर्यावरण संरक्षण का महत्व
प्रकृति और मानव का अटूट संबंध सृष्टि के निर्माण के साथ ही चला आ रहा है। धरती सदैव ही समस्त जीव-जन्तुओं का भरण-पोषण करने वाली रही है। ‘क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा, पंच रचित अति अधम सरीरा ।’ इन पाँच तत्वों से सृष्टि की संरचना हुई है। बिना प्रकृति के …
Read More »राष्ट्र की उन्नति में गौधन का विशेष योगदान : गोपाष्टमी विशेष
गाय विश्व की माता है (गावो विश्वस्य मातर:), वैदिक काल से ही गाय पूजनीया मानी जाती रही है। गाय भावनात्मक या धार्मिक कारणों से पूजनीया नहीं है, अपितु इसे मानव समाज की अनिवार्य आवश्यकता के कारण पूज्या माना गया है। गोउत्पाद की चर्चा वेदों में की गई है। परवर्ती काल …
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