महात्मा बुद्ध का जन्म लगभग 2500 वर्ष पूर्व (563 वर्ष ई. पू.), हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा को (वर्तमान में दक्षिण मध्य नेपाल) की तराई में स्थित लुम्बिनी नामक वन में हुआ पिता का नाम – राजा शुद्धोधन उनकी माता का नाम – माया। बुद्ध के गर्भ में आते …
Read More »प्राचीन दक्षिण कोसल के शिल्पकार : विश्वकर्मा जयंती विशेष
विश्वकर्मा जयंती, माघ सुदी त्रयोदशी विशेष आलेख भारत में तीर्थाटन की परम्परा सहस्त्राब्दियों से रही है। परन्तु समय के साथ लोगों की रुचि एवं विचारधारा में परिवर्तन हो रहा है। काम से ऊबने पर मन मस्तिष्क को तरोताजा करने के लिए लोग प्राचीन पुरातात्विक एवं प्राकृतिक स्थलों के सपरिवार दर्शन …
Read More »बुद्ध प्रतिमाओं की मुद्राएं
भारत में एक दौर ऐसा आया कि भगवान बुद्ध की प्रतिमाएं बहुतायत में निर्मित होने लगी। स्थानक बुद्ध से लेकर ध्यानस्थ बुद्ध की प्रतिमाएं स्थापित होने लगी। ज्ञात हो कि भारतीय शिल्पकला में हिन्दू एवं बौद्ध प्रतिमाओं में प्रमुखता से आसन एवं हस्त मुद्राएं अंकित की जाती है। हमें प्राचीन …
Read More »जानिए प्राचीन काल से लेकर अद्यतन छत्तीसगढ़ की 6 राजधानियाँ
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस है, यह राज्य पहले मध्य प्रदेश का हिस्सा था।, राज्य एवं राष्ट्र सीमाओं से जाने जाते हैं, प्रत्येक राष्ट्र एवं राज्य की सीमाएं होती हैं और एक उनकी एक राजधानी होती है। समय के साथ राज्य की सीमाओं एवं राजधानियों परिवर्तन होता है। नये राज्य, नये …
Read More »छत्तीगढ़ अंचल की प्राचीन प्रतिमाओं का केश अलंकरण
छत्तीसगढ़ अंचल के पुरास्मारकों की प्रतिमाओं में विभिन्न तरह के केश अलंकरण दिखाई देते हैं। मंदिरों की भित्तियों में स्थापित प्रतिमाओं में कालखंड के अनुरुप स्त्री-पुरुष का केश अलंकरण दिखाई देता है। उत्त्खनन में केश संवारने के साधन प्राप्त होते हैं, जिनमें डमरु (बलौदाबाजार) से प्राप्त हाथी दांत का कंघा …
Read More »बन बाग उपवन वाटिका, सर कूप वापी सोहाई
दक्षिण कोसल के प्राचीन महानगरों में जल आपूर्ति के साधन के रुप में हमें कुंए प्राप्त होते हैं। कई कुंए तो ऐसे हैं जो हजार बरस से अद्यतन सतत जलापूर्ति कर रहे हैं। आज भी ग्रामीण अंचल की जल निस्तारी का प्रमुख साधन कुंए ही हैं। कुंए का मीठा एवं …
Read More »जानिए देवालयों की भित्ति में यह प्रतिमा क्यों स्थापित की जाती है
प्राचीन मंदिरों के स्थापत्य में बाह्य भित्तियों पर हमें कौतुहल पैदा करने वाली एक प्रतिमा बहुधा दिखाई दे जाती है, जिसकी मुखाकृति राक्षस जैसी भयावह दिखाई देती है। जानकारी न होने के कारण इसे लोग शिवगण मानकर आगे बढ़ जाते हैं। कई बार मंदिरों में उपस्थित लोगों से पूछते भी …
Read More »जानिए क्या लिखा है सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर से प्राप्त प्राचीन शिलालेख में
राजधानी रायपुर से 82 किमी की दूरी पर प्राचीन नगर राजधानी सिरपुर स्थित है। वर्तमान सिरपुर ग्राम प्राचीन राजधानी श्रीपुर के भग्नावशेषों पर, भग्नावशेषों से बसा हुआ है। ग्राम के घरों की भित्तियाँ एवं नींव प्राचीन नगर की स्थापत्य सामग्री से निर्मित हैं, जो ग्राम भ्रमण करते हुए हमें दिखाई …
Read More »