कबीर पंथ के चौदहवे आचार्य पंथ श्री गृन्धमुनिनाम साहब ने अपने ग्रंथ ‘सद्गुरु कबीर ज्ञान पयोनिधि’ की प्रस्तावना में लिखा है,- “संसार के लोग राख के ढेर पर ही पैर रखकर चलते हैं- जलती आग पर नहीं, किन्तु जो इसके ठीक विपरीत होते हैं, आग पर चलकर अग्नि परीक्षा देते …
Read More »पंडित मालिकराम भोगहा का साहित्यिक अवदान
30 नवंबर को पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष आलेख छत्तीसगढ़ प्रदेश अनेक अर्थो में अपनी विशेषता रखता है। यहां ऐतिहासिक और पुरातात्विक अवशेषों का बाहुल्य है जो अपनी प्राचीनता और वैभव सम्पन्नता की गाथाओं को मौन रहकर बताता है लेकिन इसके प्रेरणास्रोत और विद्वतजन गुमनामी के अंधेरे में खो गये। …
Read More »राजा चक्रधर सिंह और रायगढ़ का गणेशोत्सव
01 जनवरी 1948 को पांच देशी रियासतों क्रमशः रायगढ़, सारंगढ़, धरमजयगढ़, जशपुर और सक्ती रियासतों को मिलाकर रायगढ़ जिला का निर्माण किया गया था। 1956 में राज्य पुनर्गठन के पश्चात् सक्ती और खरसिया तहसील के कुछ भाग बिलासपुर जिले में सम्मिलित कर दिये गये। रायगढ़ नगर के नाम पर जिले …
Read More »जन जागरण का काव्य : संदर्भ छत्तीसगढ़
साहित्य समाज का पहरुआ होता है। चाहे वह गीत, कविता, कहानी, निबंध, नाटक या किसी अन्य साहित्यिक विधा में क्यों न हो। वह तो युगबोध का प्रतीक होता है। कवि वर्तमान को गाता है लेकिन वह भविष्य का दृष्टा होता है। साहित्य जो भी कहता है निरपेक्ष भाव से कहता …
Read More »मैं कोसल का सौम्य पथिक
मैं चित्रोत्पला सा सरल तरल, हूँ तन मन को सिंचित करता।मैं श्रृंगी पावन, अशेष चिन्ह, आगे बढ़ता ,,,,, राघव गढ़ता। मैं कोसल का सौम्य पथिक, जिन कौशल्या ने राम जना।उस चरित कौसला का आशीष, जिसने जग में श्रीराम गढ़ा।। माथे पर चंदन ,रघुनंदन, राजीव लोचन, अद्वैत रक्ष।ये चार भाई मात्र …
Read More »साहित्यलोक में व्याप्त वसंत : विशेष आलेख
वसंत ॠतु आई है, वसंत ॠतु के आगमन की प्रतीक्षा हर कोई करता है। नये पल्लव लिए वन, प्रकृति, मानव अपने पलक पांवड़े बिछाए उसका स्वागत करते दिखते हैं। भास्कर की किरणें उत्तरायण हो जाती हैं और दक्षिण दिशा से मलयाचल वायु प्रवाहित हो उठती है। वसुंधरा हरे परिधान धारण …
Read More »छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के स्मृतिशेष नवगीतकार : विशेष आलेख
नवगीत गीत-परंपरा के विकास का वर्तमान स्वरूप है जिसमें समकालीन परिप्रेक्ष्य का समग्र मूल्यांकन दिखाई देता है । दरअसल नवगीत गीत ही है , वह गीत के अन्तर्गत नवाचार है, कोई अलग विधा नहीं है। अक्सर प्रश्न उठता कि जब गीत की जानकारी के बिना नवगीत नहीं लिखा जा सकता …
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