कबीर पंथ के चौदहवे आचार्य पंथ श्री गृन्धमुनिनाम साहब ने अपने ग्रंथ ‘सद्गुरु कबीर ज्ञान पयोनिधि’ की प्रस्तावना में लिखा है,- “संसार के लोग राख के ढेर पर ही पैर रखकर चलते हैं- जलती आग पर नहीं, किन्तु जो इसके ठीक विपरीत होते हैं, आग पर चलकर अग्नि परीक्षा देते …
Read More »मानवता के पुजारी छत्तीसगढ़ के संत गहिरा गुरु
संत गहिरा का जन्म छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ जिले के उड़ीसा से लगे गहिरा गांव में सावन महीने की अमावस के दिन हुआ था, इनका मूल नाम रामेश्वर था , गुरू जी सनातन धर्म, जिसे सच्ची मानवता का धर्म कहा जाता है, के प्रवर्तक थे। गुरूजी ने छत्तीसगढ़ में जहाँ …
Read More »कहै कबीर मैं पूरा पाया भय राम परसाद : संत कबीर
संत परम्परा के अद्भुत संत सद्गुरू कबीर के जन्म के विषय में अनेक किंवदन्तियाँ प्रचलित हैं, परन्तु एक चर्चा सर्वमान्य कही जाती है कि काशी में लहरतारा- तालाब पर नीरू तथा नीमा नामक जुलाहा दम्पति को एक नवजात शिशु अनाथ रूप में प्राप्त हो गया। इन दोनों ने ही इस …
Read More »कबीर पंथ एवं गुरु गद्दी परम्परा : छत्तीसगढ़
संत कबीर मध्यबिंदु के सन्देश वाहक थे क्योंकि प्रवृति एवं निवृति मार्ग के मध्यबिंदु को समाज जीवन में श्रेष्ठ माना जाता है।| छत्तीसगढ़ भौगोलिक कारणों से प्राचीनकाल से संस्कृति संगम का क्षेत्र रहा है। भारत के मध्य में होने के कारण चारों दिशाओं की सभ्यताओं का आगमन इस क्षेत्र में …
Read More »ऐसी भक्ति करै रैदासा : माघ पूर्णिमा विशेष
एक समय था जिसे भारत में भक्ति का काल कहा जाता है तथा हिन्दी साहित्य में भी यह भक्ती का काल माना जाता है। हिंदी साहित्य का भक्तिकाल 1375 वि. से 1700 वि. तक माना जाता है। यह युग भक्तिकाल के नाम से प्रख्यात है। यह हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ युग …
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