भारत के राष्ट्रीय आंदोलन पर स्वामी विवेकानंद के प्रभाव का वर्णन स्वयं स्वतंत्रता के नायकों ने किया है। गांधीजी जब 1901 में पहली बार कांग्रेस अधिवेशन में हिस्सा लेने कलकत्ता पहुंचे तो उन्होंने स्वामी जी से मिलने का प्रयास भी किया था। अपनी आत्मकथा में गांधी लिखते हैं कि उत्साह …
Read More »स्वामी विवेकानन्द का राष्ट्रध्यान : विशेष आलेख
२५ दिसम्बर को दुनियाभर में “क्रिसमस” पर्व की धूम रहती है। भारत में भी जगह-जगह क्रिसमस की शुभकामनाओं वाले पोस्टर्स, बैनर, ग्रीटिंग्स का वातावरण बनाया जाता है। किन्तु हे भारत ! क्या तुम्हें स्मरण है कि २५ दिसम्बर, हम भारतीयों के लिए क्या महत्त्व रखता है? इस बात को समझना …
Read More »जिनकी रगों में दौड़ती थी भारतभक्ति की लहरें : भगिनी निवेदिता
स्वामी विवेकानन्द ने भगिनी निवेदिता से कहा था कि ‘भविष्य की भारत-संतानों के लिए तुम एकाधार में जननी, सेविका और सखा बन जाओ।’ अपने गुरुदेव के इस निर्देश का उन्होंने अक्षरश: पालन किया था। भारत की लज्जा और गर्व निवेदिता की व्यक्तिगत लज्जा और गर्व बन गये थे। किसी भी …
Read More »समर्पण और देशभक्ति की पर्याय : भगिनी निवेदिता
“भारतवर्ष से जिन विदेशियों ने वास्तविक रूप से प्रेम किया है, उनमें निवेदिता का स्थान सर्वोपरि है।” —अवनीन्द्रनाथ ठाकुर भारत भूमि और भारतीय संस्कृति के वैभवशाली स्वरुप के आकर्षण ने सदैव ही विदेशियों को प्रभावित किया और इसी कारण कुछ विदेशियों ने कर्मभूमि मानकर भारत की सेवा में पूरा जीवन …
Read More »’तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा, नारा देने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस
(23 जनवरी, जयन्ती पर विशेष) स्वर्गीय श्री कपिल दा कहते थे, “मेरी दृष्टि में स्वामी विवेकानन्द के सन्देश के प्राण स्वर को समझकर कार्यान्वित करनेवाले तीन व्यक्तित्व हुए। उनमें से प्रथम हैं – भगिनी निवेदिता, दूसरे हैं महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस और तीसरे हैं कन्याकुमारी स्थित विवेकानन्द शिला …
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