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Tag Archives: ललित शर्मा

देवगुड़ी में विराजित भुमिहार देवता एवं मौली माता भुवनेश्वरी

लोक बगैर देव नहीं, देव बगैर लोक नहीं। सनातन संस्कृति में देवी/ देवताओं की स्थापना/आराधना की जाती है, इस संस्कृति की धारा में वैदिक, पौराणिक एवं लोक देवी/देवता होते हैं। इन देवी/देवों में लोक देवता मानव के सबसे करीबी माने जा सकते हैं क्योंकि ये स्वयं भू हैं, इनसे लोक …

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आदिवासी वीरांगनाओं की स्मृति में भरता है यह कुंभ जैसा भव्य मेला

मेदाराम दंडकारण्य का एक हिस्सा है, यह तेलंगाना के जयशंकर भूपालापल्ली जिले में गोदावरी नदी की सहायक नदी जामपन्ना वागु के किनारे स्थित है। यहाँ प्रति दो वर्षों में हिन्दू वनवासियों का विश्व का सबसे बड़ा (जातरा) मेला भरता है। गत वर्ष 2018 के चार दिवसीय मेले में लगभग एक …

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देहि शिवा वर मोहि इहै, शुभ करमन ते कबहू न टरौं

गुरु गोविंद सिंह सिर्फ़ सिख समुदाय के ही नहीं, सारी मानवता के चहेते हैं। उनकी दूरदर्शिता अकल्पनीय है, उन्होंने भविष्य को देखते हुए श्री ग्रंथ साहिब को गुरु मानने की आज्ञा दी तथा खालसा पंथ की स्थापना की। आज्ञा भयी अकाल की, तभे चलायो पंथ। सब सिखन को हुकम है, …

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जानिए ऐसा मेला जो बारातियों सहित वर-वधु पक्ष के पत्थर में बदलने की स्मृति में भरता है।

अंचल में किसान धान की फ़सल कटाई, मिंजाई और कोठी में धरने के बाद एक सत्र की किसानी करके फ़ुरसत पा जाता है और दीवाली मनाकर देवउठनी एकादशी से अंचल में मड़ई मेलों का दौर शुरु हो जाता है। ये मड़ई मेले आस्था का प्रतीक हैं और सामाजिक संस्था को …

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डोंगी में दिल्ली से कलकत्ता तक यात्रा की कहानी, डॉ राकेश तिवारी की जुबानी

घुमक्कड़ मनुष्य की शारीरिक मानसिक एवं अध्यात्मिक क्षमता की कोई सीमा नहीं। ये तीनों अदम्य इच्छा से किसी भी स्तर तक जा सकती हैं और चांद को पड़ाव बना कर मंगल तक सफ़र कर आती हैं। घुमक्कड़ी करना भी कोई आसान काम नहीं है, यह दुस्साहस है जो बहुत ही कम …

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जानिए पुष्टिमार्ग के प्रवर्तक कौन थे एवं कहाँ है उनकी जन्मभूमि?

छत्तीसगढ के रायपुर जिले के अभनपुर ब्लॉक के ग्राम चांपाझर में पुष्टिमार्ग के प्रवर्तक महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्मभूमि स्थित है। देश-विदेश से बहुतायत में तीर्थ यात्री दर्शनार्थ आते है पुण्य लाभ प्राप्त करने। कहते हैं कि कभी इस क्षेत्र में चम्पावन होने के कारण इसका नाम चांपाझर पड़ा। कालांतर में …

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राजा कर्ण जिनके राज्याभिषेक होने पर उनका कल्चुरी संवत प्रारंभ हुआ

मेकलसुता रेवा का उद्गम स्थल अमरकंटक है, यहां प्राचीन काल के अवशेष मिलते हैं तथा यह ॠषि मुनियों की तपोस्थली रही है। इतिहास से ज्ञात होता है कि वैदिक काल में महर्षि अगस्त्य के नेतृत्व में ‘यदु कबीला’ इस क्षेत्र में आकर बसा और यहीं से इस क्षेत्र में अन्यों का …

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बन बाग उपवन वाटिका, सर कूप वापी सोहाई

दक्षिण कोसल के प्राचीन महानगरों में जल आपूर्ति के साधन के रुप में हमें कुंए प्राप्त होते हैं। कई कुंए तो ऐसे हैं जो हजार बरस से अद्यतन सतत जलापूर्ति कर रहे हैं। आज भी ग्रामीण अंचल की जल निस्तारी का प्रमुख साधन कुंए ही हैं। कुंए का मीठा एवं …

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जानिए देवालयों की भित्ति में यह प्रतिमा क्यों स्थापित की जाती है

प्राचीन मंदिरों के स्थापत्य में बाह्य भित्तियों पर हमें कौतुहल पैदा करने वाली एक प्रतिमा बहुधा दिखाई दे जाती है, जिसकी मुखाकृति राक्षस जैसी भयावह दिखाई देती है। जानकारी न होने के कारण इसे लोग शिवगण मानकर आगे बढ़ जाते हैं। कई बार मंदिरों में उपस्थित लोगों से पूछते भी …

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गाँव के समस्त लोग निद्रालीन होते हैं जानिए तब कौन सी पूजा की जाती है

छत्तीसगढ की दुनिया में अपनी अलग ही सांस्कृतिक पहचान है। प्राचीन सभ्यताओं को अपने आंचल में समेटे इस अंचल में विभिन्न प्रकार के कृषि से जुड़े त्यौहार मनाए जाते हैं। जिन्हे स्थानीय बोली में “तिहार” संबोधित किया जाता है। सवनाही, हरेली त्यौहार के समय धान की बुआई होती है, त्यौहार …

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