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Tag Archives: राम मंदिर

संघर्ष और बलिदान का ऐसा उदाहरण विश्व के इतिहास में कहीं नहीं : अयोध्या

अपने जन्मस्थान अयोध्या में अब रामलला विराजने जा रहे हैं। यह क्षण असाधारण संघर्ष और बलिदान के बाद आया है। जितने आक्रमण अयोध्या पर हुये और बचाने लिये जितने बलिदान अयोध्या में हुये ऐसा उदाहरण विश्व के इतिहास में कहीं नहीं मिलता। सनातनी समाज की हजारों पीढ़ियाँ यह सपना संजोये …

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श्रीराम के अनन्य भक्त संत शिरोमणि जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य

प्राचीन काल से ही भारत भूमि महान ऋषि-मुनियों की जननी रही है। गुरु-शिष्य परंपरा से सुशोभित इस धरा पर अनगिनत संत और महापुरुष जन्में, जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन किया। अपने तेज, त्याग और तपस्या से संपूर्ण ब्रह्माण्ड को आलोकित किया। सदियों से ही धर्म भारत की आत्मा रही है। …

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अवध वहीं जहाँ राम गुण आचरण

गोस्वामी तुलसीदास जी रचित श्रीरामचरितमानस में वर्णित लक्ष्मण-सुमित्रा संवाद में लक्ष्मण भावपूर्ण होकर कहते हैं-‘‘अवध तहाँ जहँ राम निवासु। तहँइँ दिवसु जहँ भानु प्रकासू।। इसका भावार्थ है कि ‘जहाँ सूर्य का प्रकाश हो वहीं दिन होता है, इसी प्रकार जहाँ श्रीराम का निवास हो वहीं अयोध्या है।‘ मानस में इस …

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प्रेम का प्रतीक अनूठा मंदिर

छत्तीसगढ़ में प्रेम को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, दक्षिण कोसल के शासक राजा हर्षगुप्त की स्मृति संजोए हुए महारानी वासटा देवी ने बनवाया था लक्ष्मण मंदिर। लगभग सोलह सौ साल पहले प्राचीन नगरी श्रीपुर में निर्मित मंदिर आज भी अपने अनुपम वैभव को समेटे हुए है। महारानी वासटा देवी …

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जैव जगत एवं पुरातत्व का सजीव संग्रहालय : बार नवापारा अभयारण्य

छत्तीसगढ़ के अन्यान्य वनांचलों की ही भांति बारनवापारा को भी एक रहस्यपूर्ण, अलग-थलग, सजीव व सतत् सृजनशील तथा बेदाग हरापन लिए बीहड़ वन क्षेत्र के रूप में सहृदय दर्शक सहज अनुभव करता है। जिस वन्य परिवेश के प्रत्यक्षानुभव प्राप्त करने हेतु छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर से बारनवापारा की यात्रा …

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दक्षिण कोसल के शिल्प एवं शिल्पकार : विश्वकर्मा पूजा विशेष

शिल्पकारों ने कलचुरियों के यहाँ भी निर्माण कार्य किया, उनकी उपस्थिति तत्कालीन अभिलेखों में दिखाई देती है। द्वितीय पृथ्वीदेव के रतनपुर में प्राप्त शिलालेख संवत 915 में उत्कीर्ण है ” यह मनोज्ञा और खूब रस वाली प्रशस्ति रुचिर अक्षरों में धनपति नामक कृती और शिल्पज्ञ ईश्वर ने उत्कीर्ण की। उपरोक्त …

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भगवान राजीव लोचन एवं भक्तिन राजिम माता : विशेष आलेख

राजिम दक्षिण कोसल का सबसे बड़ा सनातन तीर्थस्थल के रूप में चिन्हित रहा है क्योंकि यह नगर तीन नदियों उत्पलेश्वर (चित्रोत्पला) (सिहावा से राजिम तक महानदी) प्रेतोद्धारिणी (पैरी) एवं सुन्दराभूति (सोंधुर) के तट पर बसा है। प्रेतोद्धारिणी की महत्ता महाभारत काल से पितृकर्म के लिए प्रतिष्ठित, चिन्हित रही है जिसका …

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