नदी-कछार, जंगल-पहार, खेत-खार, पशु-पक्षी यानी कि प्रकृति ने मेरे बालमन को सदैव अपनी ओर आकर्षित किया है। 40 वर्षों तक पढ़ते-पढ़ाते स्कूल में बच्चों के बीच रहा। सेवा-निवृत्ति के बाद आज भी मेरे अंतस मे बाल स्वभाव नित हिलोरें लेता है। बच्चों को देखकर मन स्मृतियों में खो जाता है। …
Read More »अंधेरे में प्रकाश की किरण: सिरती लिंगी
सनातन की जड़ें बहुत गहरी हैं, ईसाईयों का तथाकथित प्रेम का संदेश एवं औरंगजेबी तलवारें भी इसे नहीं उखाड़ पाई। सदियों की नाकामी के बाद भी इनके प्रयास निरंतर जारी हैं। ऐसे में कोई व्यक्ति इनके सामने सीना तान कर चट्टान की तरह खड़ा हो जाए तो चर्चा का विषय …
Read More »डोंगी में दिल्ली से कलकत्ता तक यात्रा की कहानी, डॉ राकेश तिवारी की जुबानी
घुमक्कड़ मनुष्य की शारीरिक मानसिक एवं अध्यात्मिक क्षमता की कोई सीमा नहीं। ये तीनों अदम्य इच्छा से किसी भी स्तर तक जा सकती हैं और चांद को पड़ाव बना कर मंगल तक सफ़र कर आती हैं। घुमक्कड़ी करना भी कोई आसान काम नहीं है, यह दुस्साहस है जो बहुत ही कम …
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