लोक साहित्य वाचिका परम्परा के माध्यम से एक कंठ से दूसरे कंठ में रच-बस कर अपने स्वरूप को विस्तार देता है। फिर व्यापकरूप में लोक को प्रभावित कर लोक का हो जाता है। यही लोक साहित्य कहलाता है। लोक साहित्य में लोक कथा, लोकगीत, लोकगाथा, लोकनाट्य, लोकोक्तियाँ और लोक पहेलियाँ, …
Read More »आदिवासी वीरांगनाओं की स्मृति में भरता है यह कुंभ जैसा भव्य मेला
मेदाराम दंडकारण्य का एक हिस्सा है, यह तेलंगाना के जयशंकर भूपालापल्ली जिले में गोदावरी नदी की सहायक नदी जामपन्ना वागु के किनारे स्थित है। यहाँ प्रति दो वर्षों में हिन्दू वनवासियों का विश्व का सबसे बड़ा (जातरा) मेला भरता है। गत वर्ष 2018 के चार दिवसीय मेले में लगभग एक …
Read More »पूस पुन्नी भजन मेला : निराकार राम का साधक रामनामी सम्प्रदाय समाज
रामनामी समाज एक बड़ा सम्प्रदाय है जो छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यतः रायगढ़ ,सारंगढ़ ,बिलाईगढ़ , कसडोल , जांजगीर, बिलासपुर, जैजैपुर, मालखरौदा, चंद्रपुर, पामगढ़, नवागढ़, अकलतरा के सुदूर अंचल से शहर तक निवासरत हैं। रामनामी समाज की आबादी लगभग 5 लाख होगी जो 300 गांव से अधिक गांवों में निवास करते है …
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