भगवान बिरसा मुंडा बलिदान दिवस विशेष आलेख अमर क्रान्तिकारी बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 छोटा नागपुर कहे जाने वाले क्षेत्र में हुआ था । यह क्षेत्र अब झारखंड में है । उनकी माता सुगना देवी और पिता करमी मुंडा का गाँव झारखंड प्रांत के रांची जिले में पड़ता …
Read More »राष्ट्ररक्षा का भाव ही वनवासी समाज का मूल स्वभाव
“यदि मेरे पास शक्ति है तथा मैं इसका प्रयोग कर सकता हूँ तो मुझे धर्म-परिवर्तन को रोकना चाहिए। हिंदू परिवारों में मिशनरी के आगमन का अर्थ वेशभूषा, तौर-तरीके, भाषा, खान-पान में परिवर्तन के कारण परिवार का विघटन है।” -गांधीजी ‘हरिजन’, 5 नवम्बर 1935 स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव अर्थात 75 वीं …
Read More »धर्म-संस्कृति रक्षक भगवान बिरसा मुंडा
जनजातीय अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर को को झारखंड के जनजाति दम्पति सुगना और करमी के घर हुआ था। मुंडा समाज को जल, जमीन, जंगल का हक दिलाने के लिए संघर्ष करते-करते मात्र 25 वर्ष की आयु में लोगों ने उनको भगवान …
Read More »मिशनरियों के विरुद्ध उलगुलान के नायक बिरसा मुंडा
इतिहास में ऐसे नायक बिरले ही होते हैं जो समाज उद्धार के लिए जन्म लेते हैं तथा समाज को अंधेरे से उजाले की ओर लेकर आते हुए तमसो मा गमय की सुक्ति को चरितार्थ करते हैं। अंग्रेजों के संरक्षण में ईसाईयों द्वारा मचाये गये धर्म परिवर्तन अंधेरे को दूर करने …
Read More »ईसाई षड़यंत्रों के लिए बड़ी चुनौती थे भगवान बिरसा मुंडा
जनजातीय गौरव दिवस विशेष आलेख वन में रहनेवाले जनजातियों (वनवासियों) को एकत्र कर अंग्रेजी शासकों के दमनकारी एवं कठोर कानून के खिलाफ व्यापक आंदोलन चलाने वाले बिरसा मुंडा आज अपने अनुयायियों के बीच ‘भगवान’ के रूप में पूजे जाते हैं और देशभर में उन्हें वनवासियों का प्रेरणाप्रद नेता माना जाता …
Read More »मैं धरती-आबा हूं! भगवान बिरसा मुंडा
झारखंड के छोटा नागपुर स्थित उलीहातु गाँव में 15 नवम्बर, 1875 को जन्में बिरसा मुंडा को जनजातीय समाज सहित संपूर्ण देश ने अपना भगवान माना है। बचपन से कुशाग्र बुद्धि के धनी बिरसा ने ईसाई षड्यंत्रों, सामाजिक कुरीतियों आदि को अपने तर्कों से पटखनी दी और जमकर प्रतिकार किया। वहीं, …
Read More »समय की मांग है भगवान बिरसा मुंडा का हूल जोहार : जयंती विशेष
छोटा नागपुर के अधिकतर वनवासी सन 1890-92 के कालखंड में चर्च के पादरियों के बहकावे में आकर ईसाई हो गये थे। बिरसा का परिवार में इसमें शामिल था परंतु शीघ्र ही ईसाई पादरियों की असलियत भांप कर बिरसा न केवल ईसाई मत त्यागकर हिंदू धर्म में लौट आये वरन उन्होंने …
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