अंग्रेजी सत्ता ने भारत में अपनी जड़ों को गहरा करने के लिये व्यापार को माध्यम बनाया था। उन्होंने पहले विदेशी वस्तुओं का आकर्षण पैदा किया फिर स्वदेशी उत्पाद का दमन किया। 1857 में क्रान्ति की असफलता के बाद इस तथ्य अनेक महापुरुषों ने पहचाना उनमें सबसे प्रमुख थे गणेश वासुदेव …
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