मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जननी, महारानी कौशिल्या का मायका दक्षिण कोसल जिसे छत्तीसगढ़ के रूप में जाना जाता है, सदैव राष्ट्रीय सांस्कृतिक भावधारा का संवाहक रहा है। पुण्य सलिला महानदी, शिवनाथ, सोंढुर, अरपा, पैरी, इंद्रावती आदि नदियों से आप्लावित यह उर्वर भूमि अपनी कृषि आधारित ग्रामीण पृष्ठभूमि के लिए …
Read More »पोला तिहार का मानवीय पक्ष
प्रत्येक प्रांत के अपने विशिष्ट पर्व होते हैं। जिनसे उसका सांस्कृतिक संबंध होता है । खान- पान, रीति-रिवाज, आचार-व्यवहार का संबंध मानवीय भाव भूमि से होता है। जिसे वह किसी न किसी रूप में व्यक्त करता है। यह व्यक्त करने का संबंध मनुुष्य के चेतन प्राणी होने से है। चेतन …
Read More »अन्न बहन-बेटी तथा मां के प्रति सम्मान का लोकपर्व पोला
कहीं भी हो लोक जीवन का आलोक एक विशेष प्रकार की इन्द्रधनुषीय आभा को प्रदर्शित करता है। इस आभा में लोक के रीति-रिवाज और संस्कार की उज्जवलता सर्वाधिक आकृष्ट करती है। क्योंकि इसमें आडम्बर के लिए कोई स्थान नहीं होता। लोक जीवन की सरलता और सहजता ही उसे विशिष्ट बनाती …
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