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Tag Archives: छत्तीसगढ़

बकरकट्टा के बैगा और उनका देवलोक

बस्तर और सरगुजा के बीहड़ वन प्रांतरों से आच्छदित छत्तीसगढ़ का पश्चिमी भाग भी वनों से आच्छादित है, जो मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र प्रदेशों से लगा हुआ है। राजनांदगाँव जिला छत्तीसगढ़ का पश्चिमी भाग है। इसी राजनांदगाँव जिले के छुईखदान विकासखंड में बैगा जनजाति का निवास है। जिला मुख्यालय से लगभग …

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कोल जनजाति का देवलोक

भारतीय समाज और संस्कृति इंद्रधनुष की तरह विविध रंगी है। जिसमें जनजाति समुदायों के सांस्कृतिक छवि की पृथक ही पहचान है। उन जनजातियों में ‘कोल‘ प्रमुख है। कोल जनजाति भारत की प्राचीन जनजाति है और देश के विभिन्न भागों में यह निवास करती है। कोल जनजाति के नामकरण को लेकर …

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स्वतंत्रता आंदोलन में छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज का योगदान

भारत में स्वतंत्रता आंदोलन का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि छत्तीसगढ़ अंचल में स्वतंत्रता के लिए  गतिविधियाँ 1857 के पूर्व में ही प्रारंभ हो चुकी थी। अंग्रेजी शासन के विरुद्ध क्रांति की ज्वालाएं शनै-शनै जागृत होती जा रही थी। स्वतंत्रता के अनेक पक्षधर पूर्ण साहस, वीरता, ज्वलन्त उत्साह …

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बुचीपुर की महामाया माई

हाफ नदी के सुरम्य तट पर बेमेतरा जिला के नवागढ़ तहसील में बसा छोटा सा गांव बुचीपुर है। यह गांव छत्तीसगढ़ के अन्य गांव के समान ही खेती किसानी वाला गांव है, परंतु इसकी प्रसिद्धि यहां विराजमान माँ महामाया के नाम से दूर-दूर तक है। दूर-दूर से यहां श्रद्धालु आते …

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बिंद्रानवागढ़ की जमींदारी

बिंद्रानवागढ जमींदारी का इतिहास शुरु होता है लांजीगढ के राजकुमार सिंघलशाह के छुरा में आकर बसने से। तत्कालीन समय में यहां भुंजिया जाति के राजा चिंडा भुंजिया का शासन था। यहां की जमींदारी मरदा जमींदारी कहलाती थी। राजकुमार सिंघलशाह चूंकि एक राजपुत्र था, उसके छुरा में आकर बसने से चिंडा …

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जानिए बस्तर के घोटुल को

इसे बस्तर का दुर्भाग्य ही कहा जाना चाहिये कि इसे जाने-समझे बिना इसकी संस्कृति, विशेषत: इसकी जनजातीय संस्कृति, के विषय में जिसके मन में जो आये कह दिया जाता रहा है। गोंड जनजाति, विशेषत: इस जनजाति की मुरिया शाखा, में प्रचलित रहे आये “घोटुल” संस्था के विषय में मानव विज्ञानी …

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मान दान का पर्व : छेरछेरा तिहार

छेरछेरा त्यौहार छत्तीसगढ़ का लोक पर्व है । अंग्रेज़ी के जनवरी माह में व हिन्दी के पुष पुन्नी त्यौहार छेरछेरा को मनाया जाता है। त्यौहार के पहले घर की साफ़-सफ़ाई की जाती है। छत्तीसगढ़ में धान कटाई, मिसाई के बाद यह त्यौहार को मनाया जाता है। यह त्यौहार छत्तीसगढ़ का …

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छत्तीसगढ़ की घुमन्तू जनजाति : नट

अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति है और उस अनेकता के मूल में निश्चित रुप से भारत के विभिन्न प्रदेशों में स्थित जनजातीय है। भारत में घुमंतू जनजातियों के लोग हर क्षेत्र में निवास करते हैं इनकी जीवन पद्धति अन्य लोगों से भिन्न है। घुमंतू जनजातियों की वेशभूषा, खान पान, …

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सामाजिक समरसता का संदेश देने वाले संत गुरु घासीदास

गुरु घासीदास का संपूर्ण जीवन संघर्ष पूर्ण रहा। उस समय देश में सामंती प्रथा व्याप्त थी। पूरा देश अंग्रेजी शासन के अधीन था। जनता शोषित और पीड़ित थी। दलित समाज में विचित्र छटपटाहट थी। विचार अभिव्यक्ति की स्वतंतत्रा तो दूर की बात, लोगों को रोटी-कपड़े के लिए भी संघर्ष करना …

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इतिहास एवं पुरातत्व के आईने में महासमुंद

महासमुंद जिला बने 27 माह 25 दिन ही हुए थे कि राज्यों के पुनर्गठन पश्चात 01 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश का 26वां राज्य बना। 06 जुलाई 1998 के पूर्व यह रायपुर जिले का एक तहसील हुआ करता था। 1873-74 में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के अधिकारी जे.डी. बेगलर जब मध्य …

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