संघर्ष और बलिदान का ऐसा उदाहरण विश्व के इतिहास में कहीं नहीं : अयोध्या

अपने जन्मस्थान अयोध्या में अब रामलला विराजने जा रहे हैं। यह क्षण असाधारण संघर्ष और बलिदान के बाद आया है। जितने आक्रमण अयोध्या पर हुये और बचाने लिये जितने बलिदान अयोध्या में हुये ऐसा उदाहरण विश्व के इतिहास में कहीं नहीं मिलता। सनातनी समाज की हजारों पीढ़ियाँ यह सपना संजोये …

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राजिम धाम में मकर संक्रांति की प्राचीन परम्परा

भारतीय संस्कृति में नदियों के संगम पर विभिन्न धार्मिक कार्यों के संपादन की प्राचीन परम्परा रही है। इसी परम्परा में संक्राति पर्वों पर स्नान-दान एवं ध्यान की परम्परा भी है। संक्रांति पर भारत में नदियों के तट पर मेले लगते हैं, हमारा छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नही है। यहाँ भी …

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श्रीराम के अनन्य भक्त संत शिरोमणि जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य

प्राचीन काल से ही भारत भूमि महान ऋषि-मुनियों की जननी रही है। गुरु-शिष्य परंपरा से सुशोभित इस धरा पर अनगिनत संत और महापुरुष जन्में, जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन किया। अपने तेज, त्याग और तपस्या से संपूर्ण ब्रह्माण्ड को आलोकित किया। सदियों से ही धर्म भारत की आत्मा रही है। …

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मकर संक्रांति पर्व का महत्व एवं गंगा सागर स्नान दर्शन

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश ‘संक्रांति‘ कहलाता है। सूर्य का मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा की ओर जाना उत्तरायण और कर्क रेखा से दक्षिण मकर रेखा की ओर जाना दक्षिणायन कहलाता है। जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगता है तब दिन बड़े और रात छोटी होने लगती …

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फाँसी से पहले हथौड़े से जिनके दाँत तोड़े, नाखून उखाड़े गये

12 जनवरी 1934 : दो क्राँतिकारियों सूर्यसेन और तारकेश्वर दत्त का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास साधारण नहीं है। इसमें बलिदान के कुछ ऐसे प्रसंग भी हैं जिन्हें पढ़कर आत्मा काँप उठती है। क्राँतिकारी सूर्यसेन और तारकेश्वर दत्त को फाँसी देने से पहले अमानवीय यातनाएँ दी गई, हथौड़े से …

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स्वामी विवेकानन्द की धर्म की अवधारणा

12 जनवरी युवा दिवस विशेष आलेख ‘उठो! जागो!…और लक्ष्य प्राप्ति तक रूको मत!‘ भारत की आध्यात्मिक शक्ति, सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का गौरव विश्वभर में स्थापित करते हुए मानवता के कल्याण और राष्ट्र पुनरूत्थान के प्रति जीवन समर्पित कर देने वाले युवा सन्यासी स्वामी विवेकानन्द का यह हृदयभेदी आह्वान …

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राष्ट्ररक्षा करते हुये दत्ता जी शिन्दे बलिदान

10 जनवरी 1760 दत्ता जी शिन्दे बलिदान भारतीय स्वतंत्रता का संघर्ष साधारण नहीं है। इसमें असंख्य बलिदान हुये हैं और सबसे बड़ी त्रासदी यह कि बाह्य आक्रमणकारियों की सहायता अनेक स्वदेशी राजाओं और सेनानायकों ने की है। विदेशी आक्रांता यदि भारत में सफल हुये हैं तो स्थानीय लोगों की सहायता …

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अवध वहीं जहाँ राम गुण आचरण

गोस्वामी तुलसीदास जी रचित श्रीरामचरितमानस में वर्णित लक्ष्मण-सुमित्रा संवाद में लक्ष्मण भावपूर्ण होकर कहते हैं-‘‘अवध तहाँ जहँ राम निवासु। तहँइँ दिवसु जहँ भानु प्रकासू।। इसका भावार्थ है कि ‘जहाँ सूर्य का प्रकाश हो वहीं दिन होता है, इसी प्रकार जहाँ श्रीराम का निवास हो वहीं अयोध्या है।‘ मानस में इस …

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सोमनाथ मंदिर की लूट और पुजारियों और पचास हजार भक्तों का बलिदान

8 जनवरी 1026 सोमनाथ की लूट एवं नरसंहार इतिहास में कुछ तिथियाँ और उनमें घटी घटनायें ऐसी हैं कि जिनके स्मरण से आज भी रोंगटे होते हैं। ऐसी ही एक घटना है गुजरात के सोमनाथ मंदिर की लूट और वहां उपस्थित श्रद्धालुओं की सामूहिक हत्या काँड। सोमनाथ मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंग …

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भारतीय इतिहास में मुगलों का बड़ा सैन्य समर्पण

7 जनवरी 1738 : भोपाल युद्ध और दोराहा संधि इतिहास के पन्नों में एक ओर आक्रांताओं के क्रूरतम अत्याचार और विध्वंस का वर्णन है तो दूसरी ओर भारतीयों के शौर्य का विवरण भी। भोपाल के समीप हुआ यह एक ऐसा युद्ध था जिसमें मुगल, निजाम हैदराबाद, अवध एवं भोपाल नबाब …

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