भारतीय संस्कृति में पक्षियों का स्थान

पक्षी प्रेम और पक्षी निहारने की बहुत ही सशक्त परम्परा भारतीय समाज में प्राचीन काल से रही है। विविध पक्षियों को देवताओं के वाहन के रूप में विशेष सम्मान दिया गया है। भारतीय संस्कृति में पक्षियों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। विष्णु का वाहन गरूड, ब्रह्मा और सरस्वती का …

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नदियाँ और उनका सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व : संदर्भ छत्तीसगढ़

भारतीय संस्कृति में अन्य प्राकृतिक उपादानों की तरह नदियों का भी अपना अलग महत्व है। वेद-पुराणों में नदियों की यशोगाथा विद्यमान है। नदियाँ हमारे लिए प्राणदायिनी माता की तरह हैं। नदियों के साथ हमारे सदैव से भावनात्मक संबंध रहे हैं, औऱ हमने नत-मस्तक होकर उनके प्रति अपनी श्रद्धा व आस्था …

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द स्वरस्वती इपोक : पुस्तक चर्चा

भारतीय सभ्यता निर्माण में जिन कुछ प्रत्ययों का स्थाई महत्व रहा है, उन पर विमर्श की परम्परा विदेशी अनुसंधानकर्ताओं के लेखन में भी दिखाई देती है। इतिहास, संस्कृति, परम्परा और सभ्यता के प्रश्नों को लेकर अब तक जो वैचारिक व दार्शनिक चिंतन होता रहा है उससे कुछ सार्थक स्थापनाएं मुहैया …

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परम्परा के संवाहक भ्रमणशील कथा गायक : बसदेवा

भारतीय संस्कृति को समृद्ध करने में भ्रमणशील समुदायों का बड़ा योगदान रहा है। ये समुदाय जिन्हें घुमंन्तु जातियों के नाम से जाना पहचाना जाता है । यायावरी संस्कृति के पोषक ये जातियाँ हमारी परम्पराओं के संवाहक हैं, जो कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक और गुजरात से लेकर असम तक …

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लुप्त इतिहास की कड़ियाँ जोड़ने वाला छत्तीसगढ़ का प्राचीन स्थल

डमरु उत्खनन से जुड़ती है इतिहास की विलुप्त कड़ियाँ छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पश्चात राज्य सरकार ने प्रदेश के पुरातात्विक स्थलों के उत्खनन एवं संरक्षण पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया। इसके फ़लस्वरुप सिरपुर, मदकूद्वीप, पचराही, में उत्खनन कार्य हुआ तथा इसके पश्चात तरीघाट, छीता बाड़ी राजिम डमरु, जरवाय, लोरिक नगर …

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भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर स्वामी विवेकानंद का प्रभाव

भारत के राष्ट्रीय आंदोलन पर स्वामी विवेकानंद के प्रभाव का वर्णन स्वयं स्वतंत्रता के नायकों ने किया है। गांधीजी जब 1901 में पहली बार कांग्रेस अधिवेशन में हिस्सा लेने कलकत्ता पहुंचे तो उन्होंने स्वामी जी से मिलने का प्रयास भी किया था। अपनी आत्मकथा में गांधी लिखते हैं कि उत्साह …

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बकरकट्टा के बैगा और उनका देवलोक

बस्तर और सरगुजा के बीहड़ वन प्रांतरों से आच्छदित छत्तीसगढ़ का पश्चिमी भाग भी वनों से आच्छादित है, जो मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र प्रदेशों से लगा हुआ है। राजनांदगाँव जिला छत्तीसगढ़ का पश्चिमी भाग है। इसी राजनांदगाँव जिले के छुईखदान विकासखंड में बैगा जनजाति का निवास है। जिला मुख्यालय से लगभग …

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जब सैकड़ों क्षत्राणियों ने अपने बच्चों के साथ किया था अग्नि प्रवेश : 6 मई सन् 1532

सल्तनत काल के इतिहास में भारत का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ हमलावरों से अपने स्वत्व और स्वाभिमान की रक्षा के लिये भारतीय नारियों ने अग्नि में प्रवेश न किया हो । फिर कुछ ऐसे जौहर हैं जिनकी गाथा से आज भी रोंगटे खड़े होते हैं। ऐसा ही एक जौहर …

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राजकुमार सिद्धार्थ से बुद्ध होने की यात्रा

बुद्धं शरणम् गच्छामि, धम्मम शरणम गच्छामि, संघम शरणम् गच्छामि का मूल महामंत्र का शंखानिनाद करने वाले महात्मा बुद्ध भगवान विष्णु के नवमें अवतार थे। अवतार सदा से धर्म की स्थापना एवं अधर्म के विनाश के लिए होते आये हैं। सदियों से अनेक वैशाख पूर्णिमायें इस धरती पर आई और चली …

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देवार समुदाय की कलाओं का आंगन छत्तीसगढ़

यदि मनुष्य जो संवेदनाओं का पुंज है, मशीन की भांति ही कार्य करता रहे तो उसका जीवन सार्थक हो जाए। अतः समाज ने नाना कलाओं में पारंगत होकर समय-समय पर अन्य समाजों का मनोरंजन करने का काम करने लगे। ऐसी ही कलाओं में से कुछ कलाओं के नाम हैं – …

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