रमणीय बुजबुजी एवं नथेला दाई

प्रकृति बड़ी उदार है। प्रकृति के सारे उपादान लोक हित के लिए हैं। नदी जल देती है। सूरज और चांँद प्रकाश देते हैं। पेड़ फूल, फल और जीवन वायु देते हैं। प्रकृति का कण-ंउचयकण लोक हितकारी है। इसलिए प्रकृति और पर्यावरण को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। परन्तु अपने कर्तव्यों …

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वर्षा ॠतु में छत्तीसगढ़ी लोक जीवन की उमंग

छत्तीसगढ़ का अधिकांश भूभाग मैदानी है इसलिए यहाँ के जनजीवन में वर्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि यहाँ का लोक जीवन कृषि पर आधारित है। यही कारण है कि वर्षा ऋतु का जितनी बेसब्री से छत्तीसगढ़ में इंतज़ार होता है अन्यत्र कहीं नहीं होता? वर्षा की पहली फुहार से मिट्टी …

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श्रावण मास का आध्यात्मिक एवं पौराणिक महत्व

हिन्दू पंचांग में काल गणना एवं बारह मासों की पृष्ठभूमि वैज्ञानिकता पर आधारित है। जिसमें श्रावण या सावन मास पांचवे स्थान पर है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जुलाई-अगस्त माह का समय श्रावण मास या सावन का होता है। यह मास जल के लिए जाना जाता है. साथ ही यह सृष्टि …

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रानी रंगा देवी एवं इतिहास का सबसे बड़ा जौहर

9 जुलाई 1301 से 11 जुलाई 1301 को रणथंबोर में जौहर सवाई माधोपुर से लगभग छह मील दूर रणथम्भौर दुर्ग अरावली पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा विकट दुर्ग है। रणथम्भौर का वास्तविक नाम रन्त:पुर है, अर्थात ‘रण की घाटी में स्थित नगर’। इस दुर्ग का निर्माण राजा सज्जन वीर सिंह नागिल …

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नारी जागृति की अग्रदूत लक्ष्मी बाई केलकर

6 जुलाई 1905 जन्म दिवस विशेष आलेख भारतीय स्वाधीनता संघर्ष की सफलता में उस भावना की भूमिका महत्वपूर्ण है जिसने समाज में स्वत्व का वोध कराया। यदि हम केवल आधुनिक संघर्ष का ही स्मरण करें तो हम पायेंगे कि आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती से लेकर राष्ट्रीय स्वयं …

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राष्ट्रीय एकात्मता का प्रतीक : विवेकानन्द शिला स्मारक

स्वामी विवेकानन्द ने 19 मार्च, 1894 को स्वामी रामकृष्णानन्द को लिखे पत्र में कहा था – “भारत के अंतिम छोर पर स्थित शिला पर बैठकर मेरे मन में एक योजना का उदय हुआ- मान लें कि कुछ निःस्वार्थ सन्यासी, जो दूसरों के लिए कुछ अच्छा करने की इच्छा रखते हैं, …

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आषाढ़ी पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाने का रहस्य

गुरु पूर्णिमा अर्थात अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर की और यात्रा और व्यक्ति से लेकर राष्ट्र तक स्वाभिमान जाग्रत कराने वाले परम् प्रेरक के लिये नमन् दिवस। जो हमें अपने आत्मवोध, आत्मज्ञान और आत्म गौरव का भान कराकर हमारी क्षमता के अनुरूप जीवन यात्रा का मार्गदर्शन …

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सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय : गुरु पूर्णिमा विशेष

“गु अँधियारी जानिये, रु कहिये परकाश। मिटि अज्ञाने ज्ञान दे, गुरु नाम है तास।” कबीरदास ने गुरु के अर्थ और उनके बारे में अंनत लिखा है ।यहाँ तक की सभी महापुरुषों ने गुरु को दुर्लभ मनुष्य जीवन की अत्यंत अनिवार्य कड़ी बताया है। कबीर कहते है-“गुरु गोविंद दाऊ खड़े काके …

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जिनके नाम से मनाया जाता है डॉक्टर्स दिवस : डॉ विधान चंद्र राय

जन्म दिवस एवं पुण्यतिथि विशेष आलेख भारत में आज एक जुलाई डॉक्टर्स दिवस है। यह तिथि सुप्रसिद्ध चिकित्सक और स्वाधीनता सेनानी डॉ विधान चंद्र राय की जन्मतिथि है। डाक्टर विधान चंद्र राय उन विरले लोगों में से कि जिस एक जुलाई की तिथि को उनका जन्म हुआ, अस्सी वर्ष बाद …

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देवशयनी एकादशी का पौराणिक एवं सामाजिक महत्व

जीवन में योग, ध्यान व धारणा का बहुत महत्व है, क्योंकि इससे सुप्त शक्तियों का नवजागरण एवं अक्षय ऊर्जा का संचय होता है। इसका प्रतिपादन हरिशयनी एकादशी से भली-भांति होता है, जब भगवान विष्णु स्वयं चार महीने के लिए योगनिद्रा का आश्रय ले ध्यान धारण करते हैं। भारतवर्ष में गृहस्थों …

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