अंगारों के हाथ न सौंपो फूलों के संसार को : स्व: हरि ठाकुर

16 अगस्त 1927 हरि ठाकुर जयंती विशेष आलेख हरि ठाकुर जी हिन्दी और छत्तीसगढ़ी के श्रेष्ठ कवि तो वह थे ही, छत्तीसगढ़ के पौराणिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, साहित्यिक और राजनीतिक इतिहास के भी वह गहन अध्येता और लेखक थे। राज्य निर्माण आंदोलन के लिए सर्वदलीय मंच के संयोजक के रूप में …

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स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी : छत्तीसगढ़

स्वतंत्रता आंदोलन में छत्तीसगढ़ भी कभी पीछे नहीं रहा है। छत्तीसगढ़ के साथ ही पूरे देश के आंदोलन में इस भूमि के सिपाही सपूत सक्रिय रूप से भाग लेते रहे लेकिन उनका समुचित मूल्यांकन आज तक नहीं हो सका है। 1856-57 में सोनाखान के वीर सपूत नारायण सिंह ने अंग्रेज …

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रायपुर में सशस्त्र क्रांति का प्रयास

स्वतंत्रता दिवस विशेष आलेख आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारत माता को पराधीनता की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए छत्तीसगढ़ महतारी के संतानों ने अभूतपूर्व योगदान दिया है। हमें गर्व है अपने स्वातंत्र्य-प्रिय सेनानियों पर जिन्होंने 1857 से पूर्व ही विदेशियों की सत्ता के विरोध में सशस्त्र …

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भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पथप्रदर्शक

भारतीय इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण घटना भारत की स्वतंत्रता है। जो ब्रिटिश शासन के विरूद्ध एक अत्यंत कठिन और लंबी लड़ाई का अंत था। स्वतंत्रता किसी भी देश के नागरिकों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप कार्य कर अपनी राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं शिक्षा इत्यादि सभी क्षेत्रों में सर्वांगीण …

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आँसुओं और रक्त की धारा के बीच भारत विभाजन की त्रासदी

14 अगस्त : भारत विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस संसार में भारत अकेला ऐसा देश है जिसका इतिहास यदि सर्वोच्च गौरव से भरा है तो सर्वाधिक दर्द से भी। यह गौरव है पूरे संसार को शब्द, गणना और ज्ञान विज्ञान से अवगत कराने का और दर्द है निरंतर आक्रमणों और अपनी …

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तत्कालीन कहानियों में विभाजन की त्रासदी

वर्तमान पीढ़ी को स्वतंत्रता मायने ही नहीं जानती, क्योकि इनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ है। इस स्वतंत्रता को प्राप्त करने में पूर्व की पीढ़ी ने कितने कष्ट सहे और क्या-क्या अत्याचार झेले, इसके विषय में वर्तमान पीढ़ी को जानना आवश्यक है तभी स्वतंत्रता का सही मुल्यांकन कर उसकी रक्षा …

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औरंगजेब को पराजित कर अपनी शर्तें मनवाने वाले वीर दुर्गादास राठौड़

13 अगस्त 1668 – वीर ठाकुर दुर्गादास राठौड़ जन्म दिवस आलेख निसंदेह भारत में परतंत्रता का अंधकार सबसे लंबा रहा। असाधारण दमन और अत्याचार हुये पर भारतीय मेधा ने दासत्व को कभी स्वीकार नहीं किया। भारत भूमि ने प्रत्येक कालखंड में ऐसे वीरों को जन्म दिया जिन्होंने आक्रांताओं और अनाचारियों …

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छत्तीस भाषाओं के ज्ञाता थे छत्तीसगढ़ के हरिनाथ डे

12 अगस्त स्व: हरिनाथ डे जयंती विशेष आलेख ज़िन्दगी के सफ़र में सिर्फ़ 34 साल की उम्र तक 36 भाषाओं का ज्ञाता बनना कोई मामूली बात नहीं है। संसार में अत्यधिक विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न ऐसे विद्वान गिने -चुने ही होते हैं। यहां तक कि ऐसी महान प्रतिभाओं के बारे में …

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तिरंगे की शान के लिए सीने पर गोली खाने वाले क्रांतिकारी

12 अगस्त 1942 : क्राँतिकारी लाल पद्मधर सिंह और बालवीर रमेशदत्त का बलिदान स्वतंत्रता आँदोलन में संघर्ष की अहिसंक धारा में भी सैकड़ों बलिदान हुये हैं। 1942 के भारत छोड़ो आँदोलन में ही देश के पचास से अधिक स्थानों पर गोलियाँ चलीं और सौ से अधिक सेनानी बलिदान हुये। अंग्रेजों …

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बालकपन में फ़ाँसी चढ़ने वाले क्रांतिकारी : खुदीराम बोस

हुतात्मा खुदीराम बोस बलिदान दिवस विशेष आलेख दुनियाँ में ऐसा कोई देश नहीं जो कभी न परतंत्रता के अंधकार में डूबा न हो। उनमें अधिकांश का स्वरूप ही बदल गया। उन देशों की अपनी संस्कृति का आज कोई अता पता नहीं है। लेकिन दासत्व के लंबे अंधकार के बाद भी …

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