शक्ति रुपेण संस्थिता : छत्तीसगढ़ की देवियां

छत्तीसगढ़ में देवियां ग्रामदेवी और कुलदेवी के रूप में पूजित हुई। विभिन्न स्थानों में देवियां या तो समलेश्वरी या महामाया देवी के रूप में प्रतिष्ठित होकर पूजित हो रही हैं। राजा-महाराजाओं, जमींदारों और मालगुजार भी शक्ति उपासक हुआ करते थे। वे अपनी राजधानी में देवियों को ‘‘कुलदेवी’’ के रूप में …

Read More »

धर्म एवं आस्था का केन्द्र माँ बमलेश्वरी

छत्तीसगढ़ प्रदेश के राजनांदगांव जिलान्तर्गत दक्षिण पूर्वी मध्य रेल्वे के स्टेशन और रायपुर नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में महाराष्ट्र प्रांत से लगा सीमांत तहसील मुख्यालय डोंगरगढ़ हैं। ब्रिटिश शासन काल में यह एक जमींदारी थी। प्राचीन काल से विमला देवी यहां की अधिष्ठात्री है जो आज बमलेश्वरी देवी के नाम से …

Read More »

सनातनी हिंदुओं को आक्रांताओं से बचाने भगवान झूलेलाल का अवतरण

चैत्र शुक्ल द्वितीया – जन्म दिन पर विशेष संवत दस सौ सात मंझारा । चैत्र शुक्ल द्वितिया के वारा ॥ ग्राम नसरपुर सिंध प्रदेशा । प्रभु अवतरे हरे जन क्लेशा ॥ भारत के प्राचीन काल में सिंध प्रांत को भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता था क्योंकि सिंध प्रांत को …

Read More »

भारत की सांस्कृतिक सेना के शिल्पी डॉ. हेडगेवार

परम वैभवशाली भारत माता का पाथेय है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आ सिंधु-सिंधु पर्यन्ता, यस्य भारत भूमिका। पितृभू- पुण्यभूभुश्चेव सा वै हिंदू रीति स्मृता॥ इस श्लोक के अनुसार “भारत के वह सभी लोग हिंदू हैं जो इस देश को पितृभूमि-पुण्यभूमि मानते हैं” वीर दामोदर सावरकर के इस दर्शन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक …

Read More »

नव संकल्पों से हो नव वर्ष का स्वागत

विक्रम संवत नव संवत्सर विशेष आलेख भारत व्रत, पर्व व त्योहारों का देश है। यूं तो हम हर दिन को पावन मानते हैं। महापुरुषों के निधन के दिनों पर भी हम शोक व्यक्त करने के स्थान पर उसे पुण्यतिथि के रूप में मनाते हुए कुछ नव-संकल्पों के साथ उनके बताए …

Read More »

मंगल पाण्डेय के स्वाभिमान की चिंगारी क्राँति का दावानल बनी

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में 1857 की क्रान्ति को सब जानते हैं। यह एक ऐसा सशस्त्र संघर्ष था जो पूरे देश में एक साथ हुआ। इसमें सैनिकों और स्वाभिमान सम्पन्न रियासतों ने हिस्सा लिया। असंख्य प्राणों की आहूतियाँ हुईं थी। इस संघर्ष का सूत्रपात करने वाले स्वाभिमानी सिपाही मंगल पाण्डेय थे। …

Read More »

भौतिक जगत की प्राणशक्ति सूर्य

नव संवत्सर विशेष आलेख सामान्यतः सूर्य को प्रकाश और गर्मी का अक्षुण्ण स्रोत माना जाता है, किन्तु अब वैज्ञानिक यह जान गए हैं कि यदि सूर्य का अस्तित्व समाप्त हो जाए तो पृथ्वी पर विचरण करनेवाले सभी जीव-जन्तु तीन दिन के भीतर ही मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे। सूर्य के …

Read More »

स्वाभिमान और आर्य संस्कृति की रक्षा के लिये महाशय राजपाल का बलिदान

6 अप्रैल 1929 : महाशय राजपाल का बलिदान दासता के दिनों में भारतीय अस्मिता पर चौतरफा हमला हुआ है। आक्रांताओं ने केवल सत्ताओं को ही ध्वस्त नहीं किया अपितु भारतीय संस्कृति और साहित्य को भी विकृत करने का प्रयास किया है। एक ओर यदि भारतीय जन स्वाधीनता संघर्ष के लिये …

Read More »

आर्य और द्रविड़ संस्कृति अलग-अलग नहीं : डॉ. हरिभाऊ वाकणकर

3 अप्रैल 1988 : सुप्रसिद्ध पुरातत्वविद् वाकणकर पुण्यतिथि डॉक्टर हरिभाऊ वाकणकर की गणना संसार के प्रमुख पुरातत्वविदों में होती है। उन्होंने भारत के विभिन्न वनक्षेत्र के पुरातन जीवन और भोपाल के आसपास लाखों वर्ष पुराने मानव सभ्यता के प्रमाण खोजे। भीम बैठका उन्ही की खोज है। उनके शोध के बाद …

Read More »

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखने वाले डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जिन्होंने अपने छोटे से कमरे में एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखी। आज देश का ही नहीं, दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। नागपुर के डॉक्टर हेडगेवार समिति मंदिर में डॉ. हेडगेवार की प्रतिमा पर किसने फूल चढ़ाये यही मीडिया के लिए कई दिनों …

Read More »