मणिपुर का शेर बीर टिकेंद्रजीत सिंह

मणिपुर राज्य की सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराएँ और प्राकृतिक सौन्दर्य भारतवासियों के लिए गौरव के विषय हैं, तो उसका शौर्य, साहस एवं त्याग-बलिदान से परिपूर्ण इतिहास भारतवासियों के लिए प्रेरणास्रोत है। सन् १८९१ के एंग्लो-मणिपुर युद्ध में मणिपुर के बहादुर लोगों ने औपनिवेशिक शक्तियों का प्रतिरोध जिस वीरता और …

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धर्म पर प्राण वार दिये पर इस्लाम न कबूला साहबजादों ने

दिसम्बर माह की 21 से लेकर 27 के बीच गुरु गोविन्द सिंह के चारों पुत्रों को दी गई क्रूरतम यातनाओं और बलिदान की स्मृतियाँ तिथियाँ हैं। ऐसा उदाहरण विश्व के किसी इतिहास में नहीं मिलता। इनमें 26 दिसम्बर के दिन दो अबोध साहबजादों का बलिदान हुआ। ये बलिदान राष्ट्र और …

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भारतीय सांस्कृतिक गौरव पर चिन्तन का माह है दिसम्बर

‘उठो! जागो!…और लक्ष्य प्राप्ति तक रूको मत!‘ भारत की आध्यात्मिक शक्ति, सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का गौरव विश्वभर में स्थापित करते हुए मानवता के कल्याण और राष्ट्र पुनरूत्थान के प्रति जीवन समर्पित कर देने वाले युवा सन्यासी स्वामी विवेकानन्द का यह हृदयभेदी आह्वान आज भी युवा पीढ़ी को प्रेरणा …

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भारतीय राजनीति के प्रकाश स्तंभ अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी बाजपेयी ने भारतीय राजनीति को छ: दशकों से करीब से देखा और जिया है। उन्होंने भारतीय राजनीति में अपना सुदढ़ दखल रखा और देश के तीन बार प्रधानमंत्री रहे। संसद में सशक्त विपक्ष के बतौर एवं प्रधानमंत्री रहते हुए उनके द्वारा देशहित में लिये गये निर्णयों के लिए …

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राष्ट्र के स्वत्व और स्वाभिमान की प्रतिष्ठापना के लिये समर्पित जीवन : स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती

23 दिसम्बर 1926 सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी स्वामी श्रृद्धानंद का बलिदान दिवस आर्यसमाज के प्रखर वेदज्ञवक्ता, उच्चकोटि के अधिवक्ता, ओजस्वी वक्ता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और क्राँतिकारियों की एक पूरी पीढ़ी तैयार करने वाले स्वामी श्रृद्धानंद की हत्या केवल एक धर्मान्ध कट्टरपंथी द्वारा की गई, हत्या भर नहीं थी बल्कि वह एक ऐसे …

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प्रखर राष्ट्रवादी स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती

23 दिसंबर 1926 स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस एडवोकेट मुंशीराम से स्वामी श्रद्धानंद तक जीवन यात्रा विश्व के प्रत्येक व्यक्ति के लिए बेहद प्रेरणादायी है। स्वामी श्रद्धानंद उन बिरले महापुरुषों में से एक थे जिनका जन्म ऊंचे कुल में हुआ किन्तु बुरी लतों के कारण प्रारंभिक जीवन बहुत ही निकृष्ट किस्म …

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सद्कर्म की प्रेरणा देती है भगवद्गीता

“जब शंकाएं मुझ पर हावी होती हैं, और निराशाएं मुझे घूरती हैं, जब दिगंत में कोई आशा की किरण मुझे नजर नहीं आती, तब मैं गीता की ओर देखता हूं।” – महात्मा गांधी। संसार का सबसे पुराना दर्शन ग्रन्थ है भगवद्गीता। साथ ही साथ विवेक, ज्ञान एवं प्रबोधन के क्षेत्र …

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भव्य होगी अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

अयोध्या में भव्य आकार ले रहे रामजन्म स्थान मंदिर ने अब अंतरराष्ट्रीय स्वरूप ले लिया है। पूरी दुनियाँ में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा दिवस की अधीरता से प्रतीक्षा की जा रही है। निर्माण के लिये 155 देशों से जल आया है, अमेरिका से एक श्रृद्धालु ने दान भेजा है तो …

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गोवा मुक्ति संग्राम में स्वयंसेवकों की भूमिका

गोवा मुक्ति दिवस 19 दिसंबर 1961 भारत को जिस स्वरुप और जिन भौगोलिक सीमाओं को वर्तमान में हम देख पा रहे है वह स्वतन्त्रता प्राप्ति के बहुत बहुत बाद तक चले संघर्ष और एकीकरण के अनथक चले अभियान का परिणाम है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भी बहुत से क्षेत्र ऐसे …

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स्वतंत्रता के लिए बलिदान होने वाले चार क्रांतिकारी

19 दिसम्बर 1927 क्रांतिकारी बलिदान विशेष भारत की स्वतंत्रता के लिये कितने बलिदान हुये, कितने क्राँतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी इसका समूचा विवरण इतिहास की पुस्तकों से भी नहीं मिलता। अंग्रेजों के सामूहिक अत्याचार से बलिदान हुये निर्दोष नागरिकों के आकड़े निकाल दें तब भी अंग्रेजों ने जिन्हें …

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