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ॠषि परम्परा

गौधन के प्रति कृतज्ञता अर्पण : सोहाई बंधन

प्रकाश का पर्व दीपावली लोगों के मन में उल्लास भर देता है। यह पर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के पीछे अनेकानेक कारण और कहानियां जुड़ी हुई है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार दीपावली के दिन ही भगवान राम का लंका विजय पश्चात अयोध्या आगमन हुआ …

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छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज में गौरी-गौरा पूजा की प्राचीन परम्परा

गौरा पूजा विशुद्ध रुप से आदिम संस्कृति की पूजा है, इस पर्व को जनजातीय समाज के प्रत्येक जाति के लोग मनाते है और क्षेत्र अनुसार दिवाली से 5 दिन पूर्व से पूस पुन्नी तक मनाया जाता है। जैसे रायपुर राज मे दिवाली प्रमुख है, बिलासपुर राज मे देव उठनी, बनगवां, …

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भाई एवं बहन के स्नेह का प्रतीक : भाई दूज

हमारा देश त्यौहारों एवं प्राचीन परम्पराओं की भूमि है, हमारे पंचांग के अनुसार कार्तिक मास को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है, इसी मास में दिवाली जैसा महत्वपूर्ण त्यौहार आता है। जिसे उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। पांच दिवसीय दिवाली का समापन भाई दूज से होता है। इसे यम द्वितीया के नाम …

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दक्षिण कोसल की स्थापत्य कला में लक्ष्मी का प्रतिमांकन

प्राचीन काल में भारत में शक्ति उपासना सर्वत्र व्याप्त थी, जिसके प्रमाण हमें अनेक अभिलेखों, मुहरों, मुद्राओं, मंदिर स्थापत्य एवं मूर्तियों में दिखाई देते हैं। शैव धर्म में पार्वती या दुर्गा तथा वैष्णव धर्म में लक्ष्मी के रूप में देवी उपासना का पर्याप्त प्रचार-प्रसार हुआ। लक्ष्मी जी को समृद्धि सौभाग्य …

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छत्तीसगढ़ का प्रमुख जनजातीय पर्व : गौरी-गौरा पूजन

दीपावली के अगले दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा किया जाता है। विष्णु पुराण, वराह पुराण तथा पदम् पुराण के अनुसार इसे अन्नकूट भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार भगवान कृष्ण के द्वारा सबसे पहले गोवर्धन पूजा की शुरुआत की गईं तब से यह पर्व मनाया …

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मध्ययुगीन भारतीय भक्ति परम्परा की सिरमौर मीरा बाई

मध्ययुगीन भक्ति परम्परा की सिरमौर मीरा बाई उस युग की एकमात्र महिला भक्त संत है जिन्होंने सगुण भक्ति के कृष्णोपासक के रूप में हिंदी साहित्य में अपनी अमिट छाप ही नही छोड़ी वरन उस युग के समाज पर प्रश्न उठाकर समाज की दिशा व दशा निर्धारित करने का बीड़ा भी …

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आनंद का द्वार शरद पूर्णिमा त्यौहार

सनातन परम्परा प्रकृति को पूजती है, उसकी आराधना करती है। प्रकृति में सर्वप्रथम सूर्य और चंद्रमा के साथ पृथ्वी दृष्टिगोचर होती है। इसलिए प्रात: काल शैय्या से उठने एवं पृथ्वी पर पग धरने से पहले उसे नमन करने की परम्परा है। उसके बाद स्नानादिपरांत सूर्य को अर्घ देकर दिवस के …

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समर्पण और देशभक्ति की पर्याय : भगिनी निवेदिता

“भारतवर्ष से जिन विदेशियों ने वास्तविक रूप से प्रेम किया है, उनमें निवेदिता का स्थान सर्वोपरि है।” —अवनीन्द्रनाथ ठाकुर  भारत भूमि और भारतीय संस्कृति के वैभवशाली स्वरुप के आकर्षण ने सदैव ही विदेशियों को प्रभावित किया और इसी कारण कुछ विदेशियों ने कर्मभूमि मानकर भारत की सेवा में पूरा जीवन …

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बस्तर का पचहत्तर दिनों तक चलने वाला प्रसिद्ध दशहरा

बस्तर अंचल में आयोजित होने वाले पारंपरिक पर्वों में बस्तर दशहरा सर्वश्रेष्ठ पर्व है। इसका संबंध सीधे महिषासुरमर्दिनी माँ दुर्गा से जुड़ा है। पौराणिक वर्णन के अनुसार अश्विन शुक्ल दशमी को माँ दुर्गा ने अत्याचारी महिषासुर को शिरोच्छेदन किया था। इसी कारण इस तिथि को विजयादशमी उत्सव के रूप में …

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डिडिनेश्वरी माई मल्हार : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष

छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे प्राचीनतम नगर मल्हार, जिला मुख्यालय बिलासपुर से दक्षिण-पश्चिम में बिलासपुर से शिवरीनारायण मार्ग पर बिलासपुर से 17 किलोमीटर दूर मस्तूरी है, वहाँ से 14 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में जोंधरा मार्ग पर मल्हार नामक नगर है। यह नगर पंचायत 21• 55′ उत्तरी अक्षांश और 82• 22′ …

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