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तीज त्यौहार

हरिहर मिलन का पर्व : बैकुंठ चतुर्दशी

सनातन धर्म मे बारह महीनों का अपना अलग अलग महत्त्व है लेकिन समस्त मासों में कार्तिक मास को अत्यधिक पुण्यप्रद माना गया है। इस माह मे स्नान, दान व दीपदान के अलावा समस्त प्रमुख तीज त्योहार होते है। इस कार्तिक मास में बैकुंठ चतुर्दशी का विशेष महत्व है। इस दिन …

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छत्तीसगढ़ का पारम्परिक त्यौहार : जेठौनी तिहार

जेठौनी तिहार (देवउठनी पर्व) सम्पूर्ण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, इस दिन को तुलसी विवाह के रुप में भी जाना जाता है। वैसे भी हमारे त्यौहारों के पार्श्व में कोई न कोई पौराणिक अथवा लोक आख्यान अवश्य होते हैं। ऐसे ही कुछ आख्यान एवं लोक मान्यताएं जेठौनी तिहार …

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काया कल्प करने वाली औषधि : आंवला

मनुष्य का स्वास्थ्य प्रकृति के साथ जुड़ा हुआ है, प्रकृति हमें विभिन्न चमत्कारिक औषधियाँ प्रदान करती हैं तथा व्याधि होने पर मनुष्य औषधियों का सेवन कर स्वास्थ्य को प्राप्त करता है। ऐसी ही एक महाऔषधि है आंवला, आमलकी। आमलकी यानी आंवला को शास्त्रों में उसी प्रकार श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है …

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राष्ट्र की उन्नति में गौधन का विशेष योगदान : गोपाष्टमी विशेष

गाय विश्व की माता है (गावो विश्वस्य मातर:), वैदिक काल से ही गाय पूजनीया मानी जाती रही है। गाय भावनात्मक या धार्मिक कारणों से पूजनीया नहीं है, अपितु इसे मानव समाज की अनिवार्य आवश्यकता के कारण पूज्या माना गया है। गोउत्पाद की चर्चा वेदों में की गई है। परवर्ती काल …

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करम डार परब : करमा

करम डार पूजा पर्व छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज का बहुप्रचलित उत्सव है। कर्मा जनजातीय समाज की संस्कृति का प्रतीक भी माना जाता है जो कि प्रकृति के प्रति पूर्णरूप से समर्पित है। इस त्योहार मे एक विशेष प्रकार का नृत्य किया जाता है जिसे कर्मा नृत्य कहते हैं। यह उत्सव …

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विश्व में सूर्योपासना की प्राचीन परम्परा

मानव ने धरती पर जन्म लेकर सबसे पहले नभ में चमकते हुए गोले सूर्य को देखा। धीरे-धीरे उसने सूर्य के महत्व समझा और उसका उपासक हो गया। सूर्य ही ब्रह्माण्ड की धूरी है। जिसने अपने आकर्षण में सभी ग्रहों एवं उपग्रहों को बांध रखा है। इसका व्यवहार किसी परिवार के …

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गौधन के प्रति कृतज्ञता अर्पण : सोहाई बंधन

प्रकाश का पर्व दीपावली लोगों के मन में उल्लास भर देता है। यह पर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के पीछे अनेकानेक कारण और कहानियां जुड़ी हुई है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार दीपावली के दिन ही भगवान राम का लंका विजय पश्चात अयोध्या आगमन हुआ …

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छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज में गौरी-गौरा पूजा की प्राचीन परम्परा

गौरा पूजा विशुद्ध रुप से आदिम संस्कृति की पूजा है, इस पर्व को जनजातीय समाज के प्रत्येक जाति के लोग मनाते है और क्षेत्र अनुसार दिवाली से 5 दिन पूर्व से पूस पुन्नी तक मनाया जाता है। जैसे रायपुर राज मे दिवाली प्रमुख है, बिलासपुर राज मे देव उठनी, बनगवां, …

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भाई एवं बहन के स्नेह का प्रतीक : भाई दूज

हमारा देश त्यौहारों एवं प्राचीन परम्पराओं की भूमि है, हमारे पंचांग के अनुसार कार्तिक मास को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है, इसी मास में दिवाली जैसा महत्वपूर्ण त्यौहार आता है। जिसे उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। पांच दिवसीय दिवाली का समापन भाई दूज से होता है। इसे यम द्वितीया के नाम …

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दक्षिण कोसल की स्थापत्य कला में लक्ष्मी का प्रतिमांकन

प्राचीन काल में भारत में शक्ति उपासना सर्वत्र व्याप्त थी, जिसके प्रमाण हमें अनेक अभिलेखों, मुहरों, मुद्राओं, मंदिर स्थापत्य एवं मूर्तियों में दिखाई देते हैं। शैव धर्म में पार्वती या दुर्गा तथा वैष्णव धर्म में लक्ष्मी के रूप में देवी उपासना का पर्याप्त प्रचार-प्रसार हुआ। लक्ष्मी जी को समृद्धि सौभाग्य …

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