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सप्ताह की कविता

इस विभाग में सम सामयिक विषयों पर प्रति सप्ताह कविताओं का प्रकाशन होगा

और क्या उम्मीद हो

जिन्होंने मृत्यु और अपमान में,वरण किया था अपमान का।उनकी बेटियां बिक रही है,और क्या उम्मीद हो।शकुनि के देश में,गांधार का गौरव चकनाचूर होकर,कन्धार बना खड़ा है।आहत होना दुर्भाग्य बना है।बन्दूक लिये मुजाहिद,अल्लाह हो अकबर के नारे।12 बरस की दुल्हनेंऔर 60 बरस के दूल्हे।कोई क्या कहेकैसे कहे।कुछ भी सही हैजो हो …

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जूझ रही ‘आदमखोरों’ से, हर औरत अफगान की

(अफगानिस्तान के वर्तमान हालात पर एक व्याकुल कविता) जूझ रही ‘आदमखोरों’ से, हर औरत अफगान की। नादानों को कहाँ सूझती – हैं बातें सम्मान की।। नाम भले मजहब का लेते,पर मजहब से दूर हुए।हाथ में ले हथियार भयानक,मर्द अचानक क्रूर हुए।छीन लिया महिलाओं का हक,कैद किया अधिकारों को। शर्म नहीं …

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गीत – गौ माता की छवि निराली

गौ माता की छवि निराली, महिमा अपरंपारमाँ कहलाती है, देती है माँ के जैसा प्यार गाय प्रतिष्ठा है भारत की, क़ीमत है अनमोलमन आल्हादित हो जाता है, सुनकर इसके बोलकर देती है भवसागर से, सबका बेड़ा पार रुकने न पाए विकास कभी, घटे नहीं सम्मानविश्वगुरु बनने के लिए नित, रखना …

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