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संस्कृति

संस्कृति विभाग में लोक संस्कृति, नृत्य, त्यौहार-पर्व, परम्पराएं, शिष्टाचार, सामुदायिक त्यौहार एवं लोक उत्सव को स्थान दिया गया है।

छत्तीसगढ़ का लोक पर्व : तीजा तिहार

भारतीय जीवन व संस्कृति में बड़ी विविधता है। इस विविधता का कारण यहाँ विभिन्न धर्मो और विभिन्न संस्कृतियों का समन्वय है। कहीं-कहीं इस विविधता का प्रमुख कारण यहाँ की आंचलिक जीवन शैली और उसकी लोक संस्कृति भी है। किसी तीज त्यौहार या पर्वों के पीछे उसकी वैदिक मान्यता के स्थान …

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छत्तीसगढ के तिहार : गरभ पूजा एवं पोला

दुनिया के प्रत्येक भू-भाग की अपनी विशिष्ट पहचान एवं संस्कृति है, जो उसे अन्य से अलग पहचान देती है। इसी तरह छत्तीसगढ की अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान एवं छवि है। प्राचीन सभ्यताओं को अपने आंचल में समेटे इस अंचल में विभिन्न प्रकार के कृषि से जुड़े त्यौहार मनाए जाते हैं। …

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झिटकू मिटकी : बस्तर की लोक कथा

ढाई आखर प्रेम का पढ़ कर पण्डित होने की बात तो सुनी थी किन्तु देवता होने की घटना हमें छत्तीसगढ़ के जनजाति बहुल अंचल बस्तर में ही सुनायी पड़ती है। केवल इतना ही नहीं किन्तु इनकी विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना भी होती है। इनमें से एक प्रेमी युगल है “झिटकू-मिटकी” और …

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प्रथम नहर और बीज विज्ञानी: भगवान हलधर

हल षष्ठी पर विशेष भारतीय धर्म और संस्कृति में बलराम एक हिंदुओं के देवता और भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई के रूप में पहचाने जाते है। जगन्नाथ परंपरा, त्रय देवताओं में से एक के रूप में वह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।उनके अन्य नामो के रूप में बलदेव,बलभद्र,बलदाऊ,बलभद्र, दाऊ, …

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छत्तीसगढ में मित्रता का प्राचीन पर्व

पौराणिक काळ से ही देवी देवताओ की पूजा, प्रकृति के रूप में किसी न किसी पेड पौधे , फळ फुल आदि के रूप में पुरी आस्था के साथ किया जाता है। इसी पर आधारित ग्रामीण आंचलो में भोजली बोने की परंपरा पुरे श्रद्धा के साथ किया जाता है। श्रावण मास …

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विराट भारत का महा संकल्प दिवस : श्रावणी पर्व

भारत की कृषिप्रधान और ऋषि परम्परा की संस्कृति में त्योहारों और पर्व उत्सवों का विशेष महत्वपूर्ण स्थान प्राचीन काल से ही रह है। यहां बाराहोमास ऋतु, तिथि, कर्म, धर्मानुसार पर्व और उपासना का विशेष महत्व रहा है ताकि जीवन मे रंग और उत्स बना रहे यद्यपि कुछ पर्वों के मनाने …

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नारी पर केन्द्रित बस्तर की महागाथा लछमी जगार

बस्तर अंचल अपनी सांस्कृतिक सम्पन्नता के लिए देश ही नहीं, अपितु विदेशों में भी चर्चित है। क्षेत्र चाहे रुपंकर कला का हो या कि प्रदर्शनकारी कलाओं या फिर मौखिक परम्परा का। प्रकृति के अवदान को कभी न भुलाने वाला बस्तर का जन मूलत: प्रकृति का उपासक है। उसके सभी पर्वों …

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नागों का उद्भव एवं प्राचीन सभ्यताओं पर प्रभाव

नागपंचमी विशेष आलेख प्राचीनकाल में नागों की सत्ता पूरी दुनिया पर थी, जिसके प्रमाण हमें आज भी मिलते हैं। भूगोल की शायद ऐसी कोई संस्कृति या सभ्यता न हो जहाँ नागों का वर्चस्व या प्रभाव न दिखाई देता हो। चाहे भारतीय संस्कृति/सभ्यता हो, चाहे माया सभ्यता हो चाहे मिश्र की …

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पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता हरेली तिहार

प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त कर करने के लिए छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है हरेली का त्यौहार। छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार हरेली सावन मास की अमावस्या को मनाया जाता है। खेती किसानी का काम जब संपन्न हो जाता है और इस दिन कृषि औजारों को साफ कर उनकी पूजा की …

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छत्तीसगढ़ में चौमासा

जेठ की भीषण तपन के बाद जब बरसात की पहली फ़ुहार पड़ती है तब छत्तीसगढ़ अंचल में किसान अपने खेतों की अकरस (पहली) जुताई प्रारंभ कर देता है। इस पहली वर्षा से खेतों में खर पतवार उग आती है तब वर्षा से नरम हुई जमीन पर किसान हल चलाता है …

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