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इतिहास

इतिहास विभाग में वैदिक साहित्य में इतिहास, पौराणिक इतिहास, जनजातीय कथाओं में इतिहास, रामायण, महाभारत एवं जैन-बौद्ध ग्रंभों में इतिहास, भारतीय राजवंशो का इतिहास, विदेशी आक्रमणकारियों (मुगल एवं अंग्रेज) का इतिहास, स्वात्रंत्येतर इतिहास, बस्तर भूमकाल विद्रोह, नक्सल इतिहास, घुमक्कड़ परिव्राजक ॠषि मुनि तथा आदिम बसाहटों के इतिहास को स्थान दिया गया है।

सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी गोपीनाथ साहा का बलिदान

1 मार्च 1924 : चार्ल्स ट्रेगार्ट को मौत के घाट उतारने का प्रयास पराधीनता के दिनों में कुछ अंग्रेज अधिकारी ऐसे थे जो अपने क्रूरतम मानसिकता के चलते भारतीय स्वाधीनता सेनानियों से अमानवीयता की सीमा भी पार जाते थे। बंगाल में पदस्थ ऐसा ही अधिकारी चार्ल्स ट्रेगार्ट था। जिसे मौत …

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पुन्नी मेला अब पुन: राजिम कुंभ

माघ पूर्णिमा को मेले तो बहुत सारे भरते हैं, परन्तु राजिम मेले का अलग ही महत्व है। राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है, यहाँ पैरी, सोंढूर एवं महानदी मिलकर त्रिवेणी संगम का निर्माण करती हैं। भारतीय संस्कृति में जहाँ तीन नदियों का संगम होता वह स्थान तीर्थ की …

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राष्ट्र और समाज को सारा जीवन देने वाले भारत रत्न नाना जी देशमुख

27 फरवरी 2010 में सुप्रसिद्ध राष्ट्रसेवी भारत रत्न नानाजी देशमुख की पुण्यतिथि हजार वर्ष की दासता के अंधकार के बीच यदि आज राष्ट्र और संस्कृति का वट वृक्ष पुनः पनप रहा है तो इसके पीछे उन असंख्य तपस्वियों का जीवन है जिन्होंने अपना कुछ न सोचा। जो सोचा वह राष्ट्र …

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जिन्हें दो बार आजीवन कारावास मिला : स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर

26 फरवरी 1966 : स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर की पुण्य तिथि स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर अकेले ऐसे बलिदानी क्राँतिकारी हैं जिन्हें दो बार आजीवन कारावास हुआ, उनका पूरा जीवन तिहरे संघर्ष से भरा है। एक संघर्ष राष्ट्र की संस्कृति और परंपरा की पुनर्स्थापना के लिये किया। दूसरा संघर्ष अंग्रेजों से …

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मन चंगा तो कठौती में गंगा : संत शिरोमणी रविदास

“मन चंगा तो कठौती में गंगा”, ये कहावत आपने जरूर सुनी होगी। इसका संबंध आपसी भाईचारा, भेदभाव मिटाने और सबके भले की सीख देने वाले सामाजिक समरसता के महान संत शिरोमणी श्री रविदास जी महाराज से है। संत गुरु रविदास भारत के महान संतों में से एक हैं, जिन्होंने अपना …

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सशस्त्र क्राँति के नायक उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी

अंग्रेजों के विरुद्ध 1857 की सशस्त्र क्रान्ति के बारे सब जानते हैं। निसंदेह वह एक संगठित अभियान था पर इससे पहले भी स्थानीय स्तर पर अनेक सशस्त्र संघर्ष हुये हैं। इससे पहले ऐसा ही एक सशस्त्र आन्ध्र प्रदेश में हुआ था जिसके नायक थे नरसिंह रेड्डी। क्रांति से अंग्रेजी सेना …

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स्वतंत्रता के बाद समाज-संस्कृति प्रतिष्ठा का संघर्ष : उद्धवदास जी मेहता

20 फरवरी 1986 सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पुण्यतिथि भाई उद्धवदास जी मेहता देश के उन विरले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में एक हैं जो दस वर्ष की बालवय में स्वाधीनता संघर्ष केलिये सामने आये और पन्द्रह वर्ष की आयु में बंदी बनाये गये। उनका सारा जीवन समाज, संस्कृति और राष्ट्र …

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पत्रकार पंडित रामदहिन ओझा का बलिदान

18 फरवरी 1931 : लेखन के साथ सक्रिय आँदोलन में भागीदारी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अनेक बलिदानी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने लेखन से जनमत जगाया, युवकों को क्राँति के लिये संगठित किया और स्वयं विभिन्न आँदोलनों में सीधी सहभागिता की और बलिदान हुये । सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित …

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क्राँतिकारी पत्रकार और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कुमाऊँ केशरी बद्रीदत्त पांडेय

15 फरवरी 1882 को जन्मे बद्रीदत्त पांडेय का पूरा जीवन राष्ट्र और संस्कृति रक्षा को समर्पित जिस प्रकार प्रातःकालीन सूर्योदय के लिये करोड़ो पलों की उत्सर्ग होता है उसी प्रकार भारत राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिये भी करोड़ो जीवन के बलिदान हुये हैं । कुछ नाम सामने आ रहे हैं …

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वीर बुधु भगत का बलिदान : अंग्रेजों द्वारा क्रूर सामुहिक नरसंहार

भारतीय स्वाधीनता के संघर्ष में कितने बलिदान हुये इसका विस्तृत वर्णन कहीं एक स्थान पर नहीं मिलता। जिस क्षेत्र के इतिहास पर नजर डालों वहाँ संघर्ष और बलिदान की रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानियाँ मिलती हैं। ऐसी ही कहानी क्राँतिकारी बुधु भगत की है जिन्होंने जीवन की अंतिम श्वाँस …

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