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इतिहास

इतिहास विभाग में वैदिक साहित्य में इतिहास, पौराणिक इतिहास, जनजातीय कथाओं में इतिहास, रामायण, महाभारत एवं जैन-बौद्ध ग्रंभों में इतिहास, भारतीय राजवंशो का इतिहास, विदेशी आक्रमणकारियों (मुगल एवं अंग्रेज) का इतिहास, स्वात्रंत्येतर इतिहास, बस्तर भूमकाल विद्रोह, नक्सल इतिहास, घुमक्कड़ परिव्राजक ॠषि मुनि तथा आदिम बसाहटों के इतिहास को स्थान दिया गया है।

भारत के इतिहास से छेड़छाड़ : सत्य शोधन की आवश्यकता

काव्य मीमांसा में राजशेखर ने एक मत देते हुए कहा है कि- “इतिहास पुराणाभ्यां चक्षुर्भ्यामिव सत्कविः. विवेकांजनशुद्धाभ्यां सूक्ष्मप्यर्थमीक्षते !”अर्थात इतिहास लेखन में जितनी दक्षता और सतर्कता अपेक्षित होती है संभवतया उतनी अन्य विधाओं में प्रायः नही होती।” मेरे विचार में यह इतिहास के बारे में शत प्रतिशत सही वक्तव्य है …

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प्रेम का प्रतीक अनूठा मंदिर

छत्तीसगढ़ में प्रेम को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, दक्षिण कोसल के शासक राजा हर्षगुप्त की स्मृति संजोए हुए महारानी वासटा देवी ने बनवाया था लक्ष्मण मंदिर। लगभग सोलह सौ साल पहले प्राचीन नगरी श्रीपुर में निर्मित मंदिर आज भी अपने अनुपम वैभव को समेटे हुए है। महारानी वासटा देवी …

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महिला सशक्तिकरण की मिसाल वीरांगना रानी दुर्गावती

‘‘यत्र नार्यस्तु पूजयंते, रमंते तत्र देवता,‘‘ अर्थात जहाँ नारी का सम्मान होता है वहाँ देवताओं का वास होता है। भारतीय संस्कृति में नारी को देवी का स्थान दिया गया है। देश में माँ दुर्गा को शक्ति की देवी, लक्ष्मी को धन की देवी, सरस्वती को विद्या और ज्ञान की देवी …

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मिशनरियों के विरुद्ध उलगुलान के नायक बिरसा मुंडा

इतिहास में ऐसे नायक बिरले ही होते हैं जो समाज उद्धार के लिए जन्म लेते हैं तथा समाज को अंधेरे से उजाले की ओर लेकर आते हुए तमसो मा गमय की सुक्ति को चरितार्थ करते हैं। अंग्रेजों के संरक्षण में ईसाईयों द्वारा मचाये गये धर्म परिवर्तन अंधेरे को दूर करने …

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प्राचीन रेशम मार्ग और बौद्ध धर्म का प्रसार

भारतीय इतिहास में जब भी व्यापार के क्षेत्र की चर्चा होती है, तो उसमें रेशम मार्ग का उल्लेख मिलता है। आज से दो सहस्त्राब्दि पूर्व चीन के साथ जिस रास्ते व्यापार होता था वह रेशम मार्ग कहलाता है। यह मार्ग चीन एवं एशिया, यूरोप तथा अफ़्रीका के देशों के साथ …

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विदेशी यात्रियों की दृष्टि में छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ की प्राचीनता और उसकी महत्ता के संदर्भ में अनेक प्रमाण उपलब्ध हैं। इसके बावजूद प्राचीन काल के संदर्भ में कोई उपयुक्त रुप से कालक्रमानुसार वृतांत नहीं मिला है जिससे क्रमबध्द प्रामाणिक इतिहास की पुनर्रचना की जा सके। इसके लिए एक अंश तक ही पौराणिक साहित्य पर निर्भर किया जाता …

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प्राचीन भारत में नौका परिवहन एवं नौका शास्त्र

भारत की महान संस्कृति को छुद्र दिखाने के लिए विघ्न संतोषियों ने ऐसे झूठ फ़ैलाये जो कि सभ्य समाज के गले से नीचे नहीं उतरते। इनके झूठों को आगे बढ़ाने का कार्य इनके कुशिष्यों ने किया। जो कि कॉपी पेस्ट के रुप में अभी तक चल रहा है। इसमें एक …

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कुल उद्धारिणी चित्रोत्पला गंगा महानदी

महानद्यामुपस्पृश्य तर्पयेत पितृदेवता:।अक्षयान प्राप्नुयाल्वोकान कुलं चेव समुध्दरेत्॥ (महाभारत, वनपर्व, तीर्थ यात्रा पर्व, अ-84)अर्थात महानदी में स्नान करके जो देवताओं और पितरों का तर्पण करता है, वह अक्षय लोकों को प्राप्त होता है, और अपने कुल का भी उध्दार करता है। महानदी का कोसल के लिए वही महत्व है जो भारत …

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मानव इतिहास एवं प्राचीन सभ्यता जानने का प्रमुख साधन संग्रहालय

संग्रहालय मनुष्य को अतीत की सैर कराता है, जैसे आप टाईम मशीन में प्रवेश कर हजारों साल पुरानी विरासत एवं सभ्यता का अवलोकन कर आते हैं। मानव इतिहास एवं प्राचीन सभ्यता जानने का संग्रहालय प्रमुख साधन है। इसलिए संग्रहालयों का निर्माण किया जाता है, इतिहास को संरक्षित किया जाता है। …

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भोंगापाल के बुद्ध एवं मोहनी माया

लोक मान्यताएं प्रधान होती हैं, लोक ने जिसे जिस रुप में मान लिया, पीढियों तक वही मान्यता चलते रहती है। जिस तरह राजिम के राजिम लोचन मंदिर के मंडप में स्थापित बुद्ध को राजा जगतपाल माना जाता है, तुरतुरिया में केशी वध एवं वृत्तासुर वध के शिल्पांकन को लव और …

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