छत्तीसगढ़ में देवियां ग्रामदेवी और कुलदेवी के रूप में पूजित हुई। विभिन्न स्थानों में देवियां या तो समलेश्वरी या महामाया देवी के रूप में प्रतिष्ठित होकर पूजित हो रही हैं। राजा-महाराजा, जमींदार और मालगुजार भी शक्ति उपासक हुआ करते थे। वे अपनी राजधानी में देवियों को ‘‘कुलदेवी’’ के रूप में …
Read More »आदि शक्ति माँ सरई श्रृंगारिणी देवी
तीन दिनों से लगातार बारिश की झड़ी के मध्य अचानक कार्यक्रम बना कि कहीं भ्रमण पर जाया जाए। तभी मुझे सरई श्रृंगार का ध्यान आया, बहुत दिनों से वहां जाने का विचार था परंतु अवसर नहीं मिल पा रहा था, आज बारिश की झड़ी ने यह अवसर हमें दे दिया। …
Read More »छत्तीसगढ़ी लोकगीतों में नदियों का महत्व
भारतीय संस्कृति में नदियों का बड़ा सम्मान जनक स्थान है। नदियों को माँ कहकर इनकी पूजा की जाती है। ये हमारा पोषण अपने अमृत समान जल से करती हैं। अन्य सभ्यताओं में देखें तो उनमें नदियों का केवल लौकिक महत्व है। लेकिन भारत में लौकिक जीवन के साथ– साथ पारलौकिक …
Read More »गौरक्षा के लिये 166 दिन अनशन कर देश में जाग्रति उत्पन्न की : संत रामचंद्र वीर
12 अक्टूबर 1909 सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और संत रामचंद्र वीर का जन्म दिवस स्वामी रामचंद्र वीर एक ऐसे संत और राष्ट्रीय संस्कृति के लिये समर्पित विभूति थे जिन्होंने दासत्व काल में जहाँ स्वतंत्रता के लिये संघर्ष किया तो स्वतंत्रता के बाद स्वत्व, स्वाभिमान और सांस्कृतिक मूल्यों की प्रतिष्ठापना के …
Read More »छत्तीसगढ़ी काव्य में जन जागरण
साहित्य समाज का पहरुआ होता है। चाहे वह गीत, कविता, कहानी, निबंंध, नाटक या किसी अन्य साहित्यिक विधा में क्यों न हो। वह तो युगबोध का प्रतीक होता है। कवि वर्तमान को गाता है लेकिन वह भविष्य का दृष्टा होता है। साहित्य जो भी कहता है निरपेक्ष भाव से कहता …
Read More »राष्ट्र जागरण और गौरक्षा के लिये समर्पित जीवन : संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी
9 अक्टूबर 1885 सुप्रसिद्ध संत और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रभुदत्त ब्रह्मचारी का जन्म दिवस भारतीय स्वतंत्रता के लिये जितना संघर्ष प्रत्यक्ष आँदोलन के लिये हुआ उससे कहीं अधिक उस अप्रत्यक्ष संघर्ष में जीवन समर्पित हुये जिन्होंने स्वाधीनता आँदोलन में तो भाग लिया ही साथ ही भारतीय संस्कृति के मानविन्दुओं और …
Read More »छत्तीसगढ़ में रामानंद सम्प्रदाय के मठ एवं महंत
शिवरीनारायण में चतुर्भुजी विष्णु मूर्तियों और मंदिरों की अधिकता के कारण यह क्षेत्र प्राचीन काल से श्री पुरूषोत्तम और श्री नारायण क्षेत्र के रूप में विख्यात था। जगन्नाथ पुरी के भगवान जगन्नाथ को शिवरीनारायण से ही पुरी ले जाने का उल्लेख उड़िया कवि सरलादास ने चौदहवीं शताब्दी में किया था। …
Read More »ग्रामीण संस्कृति का केन्द्र पीपल चौरा
पीपल का वृक्ष मौन रहकर भी अपने अस्तित्व के साथ गाँव का इतिहास, भूगोल और सम्पूर्ण सामाजिकता को समेटे हुये रहता था। गाँव का इतिहास इस वृक्ष के साथ बनता रहा था। गाँव का भूगोल यहाँ से प्रारम्भ होकर यहीं खत्म होता था, यहाँ की सामाजिकता का यह वृक्ष गवाह …
Read More »रानी दुर्गावती से युद्घ में मारा गया था शेरशाह सूरी
सामान्यतः हम रानी दुर्गावती को गोंडवाना की महारानी के रूप में जानते हैं और यह भी जानते हैं कि उन्होंने अकबर के आक्रमण का पुरजोर उत्तर दिया था। वे आसफ खाँ की उस कुटिल रणनीति का शिकार बनीं थीं जो उसने जबलपुर के नरई नाले पर धोखे की जमावट की …
Read More »मुगल सेना के छक्के छुड़ाने वाली वीरांगना रानी दुर्गावती
5 अक्टुबर रानी दुर्गावती जन्म दिवस विशेष रानी दुर्गावती हमारे देश की वो वीरांगना है, जो अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगलों से युद्ध कर वीरगति को प्राप्त हो गई। वे बहुत ही बहादुर और साहसी महिला थीं, जिन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद न केवल उनका राज्य …
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