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छत्तीसगढ़ में सूर्योपासना परम्परा : कलात्मक अभिव्यक्ति

मानव धर्म के माध्यम से अपनी मानसिक अभिव्यक्ति करता है। इसके अंतर्गत मानव ऐसी उच्चतर अदृश्य शक्ति के प्रति अपना विश्वास प्रकट करता है, जो उसके समस्त मानवीय जीवन को प्रभावित करती है। इसमें आज्ञाकारिता, शील, सम्मान तथा अराधना की भावना अंर्तनिहित होती है। अपने प्रारम्भिक अवस्था में मानव ने …

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जानिए लाल बंगला का रहस्य क्या है

छत्तीसगढ़ पर प्रकृति ने अपना अपार स्नेह लुटाया है। यहां के नदी, पहाड़, जीव-जंतु, सघन वन्यांचल, जनजातीय परंपराएं और लोक जीवन इस राज्य की सुषमा में चार चांद लगाते हैं। अपनी विशिष्ट जीवनशैली और परंपरा को सहेजने में जनजातीय समूह विशिष्टता है। इनके विशिष्ट रीति-रिवाज और परंपराएं देश और विदेश …

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क्रांति दिवस 30 सितम्बर : सलिहागढ़

सन 1930 के जनक्रांति “जंगल सत्याग्रह” का केंद्र बिंदु रहा सलिहागढ़, छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा क्षेत्र में जोंक नदी के तट पर बसे नगर पंचायत खरियाररोड के दक्षिण-पूर्व दिशा में लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह क़स्बा अब ओडिशा के नुआपाड़ा जिला के अंतर्गत है जो पूर्व में महासमुंद …

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लोक अभिव्यक्ति का रस : ददरिया

लोक में ज्ञान की अकूत संचित निधि है, जिसे खोजने, जानने और समझने की बहुत आवश्यकता है। लोकज्ञान मूलतः लोक का अनुभवजन्य ज्ञान है जो यत्र-तत्र बिखरा हुआ है और कई गूढ़ रहस्यों का भी दिग्दर्शन कराता है। यह विविध रूपों में हैं, कहीं गीत-संगीत, कहीं लोक-कथाओं और कहीं लोक-गाथाओं …

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सरगुजा अंचल में भगवान श्री राम का धनुष बाण

सूरजपुर जिले के प्रेमनगर विकासखण्ड के अन्तर्गत हरिहरपुर ग्राम पंचायत का आश्रित ग्राम रामेश्वरनगर है। ग्रामीणों की मान्यतानुसार इस गांव की पहाड़ी पर राम मंदिर में रखा तीर-धनुष भगवान श्री राम का है। बताया जाता है कि यही धनुष परशुराम ने भगवान श्री राम को दिया था। भारत के ह्दय …

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हिन्दी है जन-मन की भाषा

(14 सितम्बर, हिन्दी दिवस पर विशेष) प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को हम “हिन्दी दिवस” मनाते हैं, भारत की स्वतंत्रता के बाद 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी की खड़ी बोली ही भारत की राष्ट्रभाषा होगी। हालांकि इसे 1950 को देश के संविधान द्वारा …

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वेब संगोष्ठी के अंतिम दिवस की रिपोर्ट

षष्टम सत्र : जनजाति कला एवं संस्कृति में राम कथा तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के अंतिम दिवस दिनाँक 31 /8/ 2020 दिन सोमवार को सुबह 10:00 बजे से लेकर 11:00 बजे तक तीसरे दिन के पहले सत्र और कुल वेबीनार छठवें अकादमिक सत्र का प्रारंभ हुआ। इस सत्र का …

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प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़ के बलिदानी

आधुनिक भारतीय इतिहास में अंग्रेजी हुकूमत के ख़िलाफ़ प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के नेतृत्व में 1857 में हुए पहले शस्त्र विद्रोह से मानी जाती है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में सोनाखान के प्रजावत्सल जमींदार नारायण सिंह को 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का पहला शहीद माना जाता …

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छत्तीसगढ़ी संस्कृति में मितान परम्परा

“जाति और वर्ग भेद समाप्त कर सामाजिक समरसता स्थापित करने वाली परम्परा” जग में ऊंची प्रेम सगाई, दुर्योधन के मेवा त्यागे, साग बिदूर घर खाई, जग में ऊंची प्रेम सगाई। जीवन में प्रेम का महत्व इतना होता है कि वह मनुष्य की जीवन लता को सींचता है और पुष्ट कर …

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समाज की गहरी खाई को भक्ति के माध्यम से पाटने वाले कवि तुलसीदास

गोस्वामी तुलसीदास भारत के गिने-चुने महान कवियों में हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से मानव-समाज को सतत् ऊपर उठाने का प्रयत्न किया है। यही कारण है कि रामचरित मानस विनयपत्रिका, हनुमान चालीसा जैसी उनकी रचनाएँ आज भी लाखों लोगों के द्वारा रोज घर-घर में पढ़ी जाती है। भारत के …

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