एक अकेला पार्थ खडा है, भारत वर्ष बचाने को। सभी विपक्षी साथ खड़े हैं, केवल उसे हराने को।। भ्रष्ट दुशासन सूर्पनखा ने, माया जाल बिछाया है। भ्रष्टाचारी जितने कुनबे, सबने हाथ मिलाया है।। समर भयंकर होने वाला, आज दिखाई देता है। राष्ट्र धर्म का क्रंदन चारों ओर सुनाई देता है।। …
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पौराणिक आस्था का मेला शिवरीनारायण
आदिकाल से छत्तीसगढ अंचल धार्मिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र रहा है। यहां अनेक राजवंशों के साथ विविध आयामी संस्कृतियां पल्लवित व पुष्पित हुई हैं। यह पावन भूमि रामायणकालीन घटनाओं से भी जुड़ी हुई है। यही कारण है कि छत्तीसगढ में शैव, वैष्णव, जैन एवं बौध्द धर्मों का समन्वय रहा है। वैष्णव …
Read More »छत्तीसगढ़ में शिवोपासना की परंपरा
छत्तीसगढ़ वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों का विकास केंद्र रहा है। यहां प्राप्त मंदिरों, देवालयों और उनके भग्नावशेषों से ज्ञात होता है कि यहां वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध, जैन धर्म एवं संस्कृतियों का प्रभाव रहा है। शैवधर्म का छत्तीसगढ़ में व्यापक प्रभाव परिलक्षित होता है। जिसका प्रमाण …
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