Home / 2021 / September (page 2)

Monthly Archives: September 2021

दक्षिण कोसल में गाणपत्य सम्प्रदाय एवं प्राचीन गणपति प्रतिमाएँ

भारतीय धार्मिक परंपरा में गाणपत्य सम्प्रदाय का प्रमुख स्थान माना गया है। वैदिक काल से देव के रूप में गणपति की प्रतिष्ठा हो गई थी। ऋग्वेद में रूद्र के गण मस्तों का वर्णन किया गया है।1 इन गणों के नायक को गणपति कहा गया है। पौराणिक देवमण्डल में गणपति का …

Read More »

रींवा उत्खनन से प्रकाशित मृतिका स्तूप

दक्षिण कोसल/छत्तीसगढ़ प्रदेश के पूर्व में झारखण्ड और उड़ीसा, उत्तर में उत्तरप्रदेश, पश्चिम में महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश और दक्षिण में आन्ध्रप्रदेश तथा तेलंगाना की सीमाएं हैं। रींवा ( 21*21’ उत्तरी अक्षाश एवं 81*83’ पूर्वी देशांश ) के मध्य छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले से 25 कि. मी. दूरी पर पूर्वी दिशा …

Read More »

गौधन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व पोला तिहार

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जननी, महारानी कौशिल्या का मायका दक्षिण कोसल जिसे छत्तीसगढ़ के रूप में जाना जाता है, सदैव राष्ट्रीय सांस्कृतिक भावधारा का संवाहक रहा है। पुण्य सलिला महानदी, शिवनाथ, सोंढुर, अरपा, पैरी, इंद्रावती आदि नदियों से आप्लावित यह उर्वर भूमि अपनी कृषि आधारित ग्रामीण पृष्ठभूमि के लिए …

Read More »

गीत – गौ माता की छवि निराली

गौ माता की छवि निराली, महिमा अपरंपारमाँ कहलाती है, देती है माँ के जैसा प्यार गाय प्रतिष्ठा है भारत की, क़ीमत है अनमोलमन आल्हादित हो जाता है, सुनकर इसके बोलकर देती है भवसागर से, सबका बेड़ा पार रुकने न पाए विकास कभी, घटे नहीं सम्मानविश्वगुरु बनने के लिए नित, रखना …

Read More »

माँझीनगढ़ के शैलचित्र एवं गढ़मावली देवी जातरा

भारतीय ग्राम्य एवं वन संस्कृति अद्भुत है, जहाँ विभिन्न प्रकार की मान्यताएं, देवी-देवता, प्राचीन स्थल एवं जीवनोपयोगी जानकारियाँ मिलती हैं। सरल एवं सहज जीवन के साथ प्राकृतिक वातावरण शहरी मनुष्य को सहज ही आकर्षित करता है। ऐसा ही एक स्थल छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिला मुख्यालय से 60 कि.मी.की दूरी पर …

Read More »

बस्तर का बांस शिल्प

वर्तमान बस्तर को पहले चक्रकाट, महाकान्तार, महावन, दण्डकारण्य, आटविक राज्य आदि नाम से संम्बोधित किया जाता था। अचल में प्रचलित एक किंवदन्ती के अनुसार वारंगल के राजा प्रताप रुद्रदेव का भाई अन्नमदेव राज्य स्थापना की नीयत से यहां आया तो बाँस तरी में (बाँस झुरमुट के नीचे) अपना पहला पड़ाव …

Read More »

छत्तीसगढ़ का पर्यटन स्थल : बैताल रानी घाट

प्रकृति जीवन है, हमारा प्राण है। प्राण के बिना हम अपने होने की कल्पना भी नहीं कर सकते। जो प्रकृति के निकट हैं, प्रकृति से जुड़े हुए हैं। वे सुरक्षित हैं। जो प्रकृति से कट गए हैं, या जो दूर हो रहे है, उनका जीवन खतरे में है। इसका प्रत्यक्ष …

Read More »