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Yearly Archives: 2020

कोसीर की महिषासुरमर्दनी देवी

रायगढ़ जिले में सारंगढ़ से सोलह किलोमीटर की दूरी पर इस जिले का सबसे बड़ा गाँव कोसीर स्थित है। कोसीर की जनसंख्या लगभग दस हजार की है । गांव में जातिगत दृष्टि से जनजातीय समुदाय, सतनामी, वैष्णव, कहरा, केंवट, मरार, कलार, रावत, चन्द्रनाहू, कुर्मी, धोबी, नाई, लोहार, पनका, सारथी कुछ …

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चम्पई माता एवं कलचुरीकालीन मोंहदीगढ़

इस प्रदेश के छत्तीसगढ़ नामकरण के पीछे कई मत हैं, कुछ विद्वान चेदी शासकों पर चेदिसगढ़ का अपभ्रंश बताते हैं तो कई विद्वानों का मत है कि मध्यकाल में कलचुरीकालीन छत्तीस गढ़ों को लेकर छत्तीसगढ़ का निर्माण हुआ। ये गढ़ कलचुरी शासन काल में प्रशासन की महत्वपूर्ण इकाई थे। कालांतर …

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शाक्त धर्म एवं महिषासुरमर्दिनी की प्रतिमाएं : छत्तीसगढ़

भारतवर्ष में मातृदेवी एवं शक्ति के रूप में देवी पूजन की परम्पराएं प्रचलित रही हैं। भारतीय संस्कृति की धार्मिक पृष्ठभूमि में शाक्त धर्म का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। सृष्टि के उद्भव से लेकर वर्तमान काल तक के संपूर्ण विकास में शक्ति पूजा का योगदान दिखाई देता है। नारी शक्ति को …

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त्रिमूर्ति महामाया धमधा गढ़: छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष

छत्तीसगढ़ का धमधा ऐतिहासिक तथ्यों और खूबियों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन सबसे अनोखा यहां का त्रिमूर्ति महामाया मंदिर है। जी हां, यह अनोखा इसलिए क्योंकि यहां तीन देवियों का संगम है, जो दूसरी जगह देखने को नहीं मिलता। यहां एक ही गर्भगृह में तीन देवियों- महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती …

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तेलीन सत्ती माई : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष

देवी देवताओं के प्रति गहरी आस्था और अटल विश्वास के कारण आदिम जनजीवन में देवी देवताओं का विशिष्ट स्थान है। बस्तर में इन देवी देवताओं का एक अलौकिक साम्राज्य है और इस अलौकिक साम्राज्य की राजा हैं देवी माँ भंगाराम माई। बस्तर का प्रवेश द्वार बार मोड़ों वाली केशकाल घाटी …

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कुदरगढ़िन माता : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष

भारत के हृदय स्थल मध्यप्रदेश के दक्षिणपूर्व भाग में ‘‘धान की कोठी‘‘ छत्तीसगढ़ राज्य स्थित है। छत्तीसगढ़ के उत्तरांचल में आदिवासी बहुल संभाग सरगुजा है। यहाँ की प्राकृतिक सौंदर्यता, हरियाली, ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थल, लोकजीवन की झांकी, सांस्कृतिक परंपराएं, रीति-रिवाज, पर्वत, पठार, नदियाँ कलात्मक आकर्षण बरबस ही मन को मोह …

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मावली माता सिंगारपुर : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष

मंदिरों की नगरी सिंगारपुर जहाँ विराजी हैं मावली माता। कई शताब्दी पूर्व बंजारों की अधिष्ठात्री देवी अब समूचे अंचल की आराध्या हो गई हैं। भक्तों की आस्था के साथ लोक विश्वास में मावली माता सभी मनोरथ को पूर्ण करने वाली हैं। सिंगारपुर में मंदिर के समीप कई समाजों के मंदिर …

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घटवारिन दाई अंगार मोती : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष

जनश्रुतियाँ भी इतिहास एवं संस्कृति जानने का सशक्त माध्यम हैं, ऐसी ही एक जनश्रुति लगभग चार सौ वर्ष पुरानी हैं। माता अंगार मोती बड़ी फुरमानुख देवी है। न जानें दिव्य देवी शक्तियाँ कब किस पर अपार स्नेह की बारिश कर दे, रोग, शोक, भय रहित कर दे, सुख शांति और …

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बिलाई माता : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष

बिलाई माता के नाम से सुविख्यात विन्ध्यवासिनी देवी अर्थात महिषासुर मर्दिनी ही धरमतराई (धमतरी) की उपास्य देवी है प्रस्तर प्रतिमा के रूप में जिसका प्रादुर्भाव हैहयवंशी राज्य के अधीनस्थ किसी गांगवंशीय मांडलिक के शासनकाल का बतलाया जाता है। तब से आज तक यह मंदिर इस क्षेत्र की जनता के लिए …

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भैना राजाओं की कुलदेवी : खम्भेश्वरी माता

प्राचीन इतिहास के अध्ययन से ज्ञात होता है कि राजे-रजवाड़ों एवं जमीदारियों में शक्ति की उपासना की जाती थी और वर्तमान में भी की जाती है। शक्ति की उपासना से राजा शत्रुओं पर विजय के लिए शक्ति प्राप्त करता था। वह शक्ति को चराचर जगत में एक ही है पर …

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