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Yearly Archives: 2020

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर : हनुमान जयंती विशेष

गोस्वामी तुलसीदासजी ने जब हनुमान चालीसा की रचना की तो बजरंग बलि का वर्णन “ज्ञान गुन सागर” कहकर किया। ज्ञान और गुण जिनके भीतर “महासागर” की भांति विद्यमान है वही “महावीर हनुमान” हैं। गोस्वामीजी ने आखिर ज्ञान और गुणों का महासागर हनुमानजी को ही क्यों कहा, हम इस पर ही …

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दण्डकारण्य में राम : रामनवमी विशेष

बस्तर अपने प्राचीन पुरातात्विक महत्व, आरण्यक संस्कृति, दुर्गम वनांचल एवं अनसुलझे तथ्यों के लिए प्रसिद्ध है। बस्तर, दण्डक, चक्रकूट, भ्रमरकूट, महाकांतर जैसे अनेक नामों से परिभाषित धरती पर स्वर्ग का पर्याय है। बस्तर के पूर्वजों ने धर्म, विज्ञान, साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में जो पराक्रम किया है। वह …

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क्या आप जानते हैं महिषासुर का वध कहाँ हुआ था?

महिषासुर राक्षस का उल्लेख देवी भागवत में हुआ है, जिसका संहार देवी दुर्गा ने किया था। वह पहाड़ी कन्दराओं एवं बीहड़ जंगलों में विचरण करता था । देवी भागवत में उपर्युक्त सभी कथाओं का वर्णन तो है, लेकिन महिषासुर का उद्भव कहाँ हुआ था? तथा उसका मर्दन किस स्थान पर …

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पटनागढ़ के चौहान शासकों की देवी : पाटमेश्वरी

ब्राह्मणडीह ग्राम जिला महासमुन्द छ ग की प्राचीन जमींदारी सुअरमार अक्षांश 20°58’31.49 देशांश 82°27’25.46 में जोंक नदी एवम उसकी सहायक कांदाजरी नदी के दोआब व राष्ट्रीय राजमार्ग 243 पर माँ पाटमेश्वरी मन्दिर स्थित है। यहां दो तालाबो का समूह रहा, वर्तमान ब्रह्म ताल (27 एकड़) का निर्माण सम्भवतः कलचुरि काल …

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भारतीय शास्त्रीय संगीत और लोकसंगीत

संगीत नामक शब्द से ही मन में स्वर लहरियाँ उत्पन्न होने लगती हैं, मन और आत्मा दोनो तरंगित हो उठते हैं, देह नृत्य करने लगती है, चेतना अपने उच्चतम स्तर पर उर्ध्वगामी हो जाती है। ऐसा ही है आनंद संगीत और स्वर का। यह एक ऐसी विधा है जिसने मानव …

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दक्षिण कोसल के लोक साहित्य में राम

छत्तीसगढ़ी प्रहेलिकाओं में त्रेतायुगीन चरित्रों का भी संकेत मिलता है। राम यहां के जन जीवन में रमें हुए दिखाई देते हैं। विद्वानों का कथन है कि इस भू-भाग भगवान राम ने अपने वनवास का काफ़ी समय व्यतीत किया। छत्तीसगढ़ी की प्रहेलिकाओं में राम और सीता का स्थायीकरण हुआ है। राम …

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सुरही नदी के तीर देऊर भाना के पुरातात्विक अवशेष

गंडई की सुरही नदी सदानीरा है। बड़ी-बड़ी नदियाँ भीषण गर्मी में सूख जाती हैं, परन्तु सुरही नदी में जल प्रवाह बारहों महीने बना रहता है। सुरही नदी अपने उद्गम बंजारी से लेकर संगम कौहागुड़ी (शिवनाथ नदी) तक अनेकों पुरातातविक स्थलों को अपने आँचल में सेमेटी हुई है। गंडई अंचल अपनी …

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छत्तीसगढ़ का लोक साहित्य एवं वाचिक परम्परा

छत्तीसगढ़ नवोदित राज्य है। किन्तु हाँ की लोक संस्कृति अति प्राचीन है। यहाँ बोली जाने वाली भाषा छत्तीसगढ़ी है, जो अपनी मधुरता और सरलता के लिए जग विदित है। अर्द्ध मागधी अपभ्रंश से विकसीत पूर्वी हिन्दी की एक समृद्ध बोली है छत्तीसगढ़ी, जो अब भाषा के रूप में प्रतिष्ठित हो …

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दर्पण के ज़रिए समझिये समाज की सच्चाई

भारत जैसे बड़े देश में व् दुनिया भर में मीडिया को लोकतंत्र का चौथा अथवा महत्वपूर्ण स्तम्भ बताया जाता है. मीडिया मतलब हर वह माध्यम है जिससे जनता तक जानकारियाँ, विचार व् नीतियाँ पहुँच सके. इस मीडिया के तंत्र में समाचार पत्र, पुस्तक, पत्रिकाएं, टेलीवीजन, रेडियो, इन्टरनेट इत्यादि हैं. टीवी …

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गंडई का शिवालय जहाँ पाषाण बोलते हैं

छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल से आस्था का केन्द्र बिंदु रहा है। यहां सिरपुर, शिवरीनारायण, राजिम, मल्हार, रतनपुर, पाली,  ताला, भोरमदेव, आरंग, जांजगीर, देवबलौदा, बारसूर, जैसे अनेक पुरातात्विक स्थलों का अपना पृथक-पृथक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक महत्व है। यहां के मंदिरों में उत्कीर्ण शिल्पांकन तत्कालीन समाज की धार्मिक व सांस्कृतिक स्थितियों के जीवन्त …

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