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Yearly Archives: 2019

छत्तीसगढ़ के सरगुजा अंचल में मृतक स्मारक एवं सती स्तंभ : एक अनुशीलन

जब भारत में इस्लाम द्वारा सिंध, पंजाब और राजपूत क्षेत्रों पर आक्रमण किया जा रहा था। इन क्षेत्रों की महिलाओं को उनके पति की हत्या के बाद इस्लामी हाथों में ज़लील होने से बचाने के लिए पति के शव के साथ जल जाने की प्रथा पर जोर दिया गया।

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जब आपकी होली खत्म होती है तब इनकी शुरु होती है, जानिए कौन हैं ये

बैगा जनजाति भारत के मध्य प्रांतर क्षेत्र की प्रमुख जनजाति है, ये अपने पहनावे, खान-पान, तीज-त्यौहार, आवास-व्यवहार अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। छत्तीसगढ़ अंचल में ये कवर्धा जिले एवं उसके अगल-बगल के जिलों में निवास करते हैं तथा इनका विस्तार छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे हुए मध्यप्रदेश के कुछ जिलों …

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दूसरी शताब्दी का दुर्लभ युप स्तंभ लेख जिसमें तत्कालीन शासकीय अधिकारियों के नाम एवं पदनाम उल्लेखित हैं

छत्तीसगढ़ में पुरातत्व से संबंधित कुछ ऐसी दुर्लभ चीजे हैं जो अन्य कहीं पर नहीं मिलती, इनमें से एक ग्राम किरारी से प्राप्त सातवाहनकालीन दूसरी शताब्दी का काष्ठस्तंभ लेख है। जो वर्तमान में महंत घासीदास संग्रहालय रायपुर की दीर्घा में प्रदर्शित है। दुर्लभ इसलिए है कि हमें शिलालेख, ताम्रपत्र, सिक्कों …

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पर्यावरण : प्रकृति के सानिध्य ने बचाए कैंसर से प्राण

जिन्दगी कैरमबोर्ड जैसी होती है, बोर्ड पर जमी हुई गोटियाँ मनुष्य के पारिवारिक सपने। जरा भी ठोकर लगी और सपने कैरम की गोटियों की मानिंद बिखर जाते हैं। बिरले ही होते हैं जो जीवन की गोटियों को फ़िर से जमाने की और नया खेल शुरु करने की हिम्मत जुटा पाते …

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ऐसा स्थान जहाँ पितर देवता भी आम के स्वाद से वंचित नहीं रहते

आम के साथ बचपन के दिन भी जुड़े हैं, जब स्कूल से भागकर टिकोरों के चक्कर में मीलों दूर तक की धरती नाप आते थे। ऐसे ही हमारे देश का राष्ट्रीय फ़ल आम को नहीं बनाया गया है। इसमें गुण भरे पड़े हैं, पर आयुर्वेद की दृष्टि से अवगुण भी …

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छत्तीसगढ़ की अजब-गजब होली एवं प्राचीन परम्पराएँ

छत्तीसगढ़ अंचल में जब नगाड़े बजने की आवाज फ़ाग गायन के साथ गांव-गांव, शहर-शहर, डगर-डगर से रात के अंधेरे में सन्नाटे को तोड़ती हुई सुनाई दे लगे तो जान लो कि फ़ागुन आ गया। वातावरण में एक विशेष खुश्बू होती है जो मदमस्त कर देती है, महावृक्षों से धरा पर …

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कोण्डागाँव का मावली मेला, जहाँ एकत्रित होते हैं देवी-देवता

नारायणपुर मड़ई के पश्चात कोण्डागांव का प्रसिद्ध मावली मेला कल प्रारंभ हुआ, यह मेला होली के एक सप्ताह पूर्व भरता है। फ़ागुन माह में आयोजित होने वाले इस मेले की विशेषता यह है कि यहाँ कई परगनों के देवी देवता इकट्ठे होते हैं। मेले का अर्थ ही सम्मिलन होता है, …

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भ्रमर प्रत्यंचा पर धरे जब पलाश के वाण

वसंत का मौसम हो तथा पलाश की चर्चा न हो, ये नहीं हो सकता। यह समय छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर सरगुजा तक के वनों में पलाश के फ़ूलने का होता है, ऐसे लगता है कि जंगल में आग लगी हो, जंगल में आग जब चहूँ दिसि लगी हो तो …

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ऐसा मेला जहाँ युवक-युवती गंधर्व विवाह के लिए हैं स्वतंत्र

छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले व मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले के साथ अन्य आस-पास के जिलों में भी बैगा जनजाति निवास करती है। इन जिलों की सीमा में प्रतिवर्ष पर्व विशेष पर मेला-मड़ई का आयोजन होता है। जहाँ बैगा पहुंच कर मेले का आनंद लेते हैं। यह मेले मड़ई इनके जीवन …

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ऐसी कौन सी घास है जो जन्म से मरण तक साथ निभाती है?

मनुष्य का बांस से साक्षात्कार अग्नि के माध्यम से हुआ, अग्नि प्रज्जवलित करने के  लिए उसने अरणी पर परणी का घर्षण कर अग्नि का संधान किया। वर्तमान में विशेष समुदायों में विशेष अवसरों पर इसी तरह अग्नि प्रकट करने का विधान दिखाई देता है। जन्म के बाद बाँस से व्यक्ति …

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